________________ . न जई। पयडंकुरं तु धन्नं जलभिन्नं तं तु भण्णइ विरूढं। सेसं जलभिन्नं पि हु चणगाइ विरूढमवि न भवे // 60 // भुंग्गाणि विरूढाणि य हुंति अचित्ताणि तह विरुहनियमो। ताणि न भक्खइ तह फुट्टकक्कडी असइ न हु साहु त्ति // 61 // जइ वायंगणपमुहं पि तीमणं सया अचित्तमपि न जई। गिण्हइ पवित्तिदोसं सम्म परिहरिउं इच्छन्तो // 62 // जीए मुत्थाइकयं अज्जेव जलं तु फासुगं तीए / कल्लेव कीरइ जइ तमेगदव्वं न संदेहो // 63 // अप्पडिलेहियमुहणंतगे य सामाइयं करिज्जा उ। अविहिकए पच्छित्तं थोवं तेणं पडिक्कमइ // 64 // सामाइकसुत्तम्मि उच्चरिए कह वि होइ जइ फुसणं / तो तं आलोएज्जा भंगो से नत्थि सामाइए उक्कालियम्मि तक्के विदलक्खेवे वि नत्थि तद्दोसो / अतत्तगोरसम्मि पडियं संसप्पए विदलं ... // 66 // गोहुमघयगुलदुद्धाणि मेलिउं तो कडाहगे पयइ / तं धणुहुज्जा पक्कन्नविगइ नियमा न दव्वं तं // 67 // जइ को वि अभिग्गहिओ टिप्पणयं अन्नसावयग्गहियं / पालितो वि हु तं सुगुरुदंसणे कुणइ मुक्कलयं // 68 // जत्थासणे निसनो खणं पि तं लग्गए उ संखाए। जत्थ कडि पि हु दिज्जइ गणिज्जए सा वि सिज्जति // 69 // तो बहुकज्जपसाहणकए वि परिभमइ सुबहुट्ठाणेसु / सो सयणासणमाणं लंघइ जइ कुणइ किर थोवं नाणाजाइसंमुब्भवतंडुलसिद्धं पुढो भवें दव्वं / / निच्छयनयेण ववहारओ नये दव्वमेगं ति / // 71 // // 70 // 22