________________ पढमम्मि आउबन्धो दुक्करकिरियाउ होइ देवेसु। तत्तो बहुदुक्खपरंपराओ नरतिरियजाईसु। // 12 // बीए विमाणवज्जो आउयबन्धो न विज्जए पायं / / सुखित्तकुले नरजम्म सिवगमो होइ अचिरेण // 13 // पाणिवहाई पावट्ठाणाणटारसेव जं हुंति / होइ अहम्मो तेसु य पवट्टमाणस्स जीवस्स // 14 // तत्तो तिरिअनरयगई अटुं रुदं च दुनिज्झाणाई / सग्गापवग्गसुहसंगमो कहं तस्स सुमिणे पि // 15 // तम्हा कयसुकयाणं सुगुरूणं दंसणं फुडं होइ / . कत्तो निप्पुण्णाणं गिहम्मि कप्पडुमुप्पत्ती // 16 // भव्वा वि केइ नियकम्मपयडिपडिकूलयाइ संभूया / जत्थ सुसाहुविहारो संभवइ न सिद्धिसुक्खकरो .. // 17 // पयईए वि हु तेसिं सद्धम्मपसाहणुज्जयमणाणं / सुगुरूणं अदंसणओ संदेहसयाणि जायंति // 18 // ते संदेहा सव्वे, गुरुणो विहरंति जत्थ गीयत्था / गंतुं पुट्ठव्वा तत्थ इहरहा होइ मिच्छत्तं // 19 // संसइयमिह चउत्थं ति निस्संदेहाण होइ सम्मत्तं / जुगपवरागमगुरुलिहियवयणदसणसुईहितो त्ति // 20 // "तो ते भव्वा जेसि होइ सडावस्सए वि इइबुद्धी / कह सिद्धते वुत्तं भवसिवदुहसुहकरं एयं // 21 // एसो किर संदेहो जायइ केसि पि इत्थ भव्वाणं / . परिग्गहपरिमाणं सावगेण एगेण जं गहियं // 22 // तं अन्नो वि हु भव्वो घित्तूणं पालए पंयत्तेणं / जइ ता जुत्तं किमजुत्तमित्थ तत्थुत्तरं एयं // 23 // 268