________________ स्तबकः-३ अथ दूषितसाधनस्तपोधनरत्नं स चिरत्नधीनिधिः / कृतसाध्यनिरासवासनः, पुनरांख्यज्जनराजिरञ्जनः // 40 // विन्नाणं निअणेअवत्थुविसरं गंतूण नूणंतरा, बाणो वेरिगणं रणमिव परिच्छिंदेइ एवं पुणो / तुम्हाणं वयणं मणावि न मणं पीणेइ तस्सप्पणो, धम्मत्तेण हु निग्गमो कह बहिं सुक्खाइआणपि व ? // 41 // पच्चूसावसरे गुणा वि र(वि) णो तेणेव कोडीकया, वीसुं वित्थरिऊण किं न किरणा भासिंति भूमंडलं / एवं अप्पसगासपत्तपसरं नाणंपि नाणापयत्थाणंफासिअ पायडेइ पडलं ता वुत्तदोसो कहं ? // 42 // किरणा गुणा न दव्वं, तेसिं पयासो गुणो नया दव्वो। जं नाणं आयगुणो, कहमदव्वो स अण्णत्थ . // 43 // लोहोवलस्स सत्ती, आयत्था चेव भिन्नदेसपि / लोहं आगरिसंती, दीसइ इह कज्जपच्चक्खा // 44 // एवमिह नाणसत्ती, आयत्था चेव हंदि लोगंतं / जइ परिछिदइ सम्मं, को णु विरोहो भवे तत्थ / // 45 // ............ / // 46 // धंत्तेऽमोघसुदर्शनप्रसरतामन्यद्धितं तन्यते, सत्यादिव्रजवाञ्छितानि बिभृतेऽवश्यं महोपास्यता / यच्चातीवतरां जने जनयति श्रीनन्दनस्योदयं, तत्कस्तार्किकपुङ्गवो न गणयेत्कृष्णैकरूपं तमः // 47 // .. . 23 .......