________________ दूरे ता अन्नत्तं गुणसद्दे चेव ताव पारिच्छं। जं पज्जावाहि(इ)ओ होज्ज पज्जवे चेव गुणसन्ना // 106 // दो पुण नया भगवया दव्वट्ठिअपज्जवट्ठिआ निअया। .. एत्तो अ गुणविसेसे गुणट्ठिअनओ वि जुज्जंतो . // 107 // जं च पुण अरहया तेसु तेसु सुत्तेसु गोअमाईणं / / . पज्जवसण्णा निअमा वागरिआ तेण पज्जाया // 108 // परिगमणं पज्जाओ अणेगकरणं गुणो त्ति एगत्था / तह वि न गुणो त्ति भन्नइ पज्जवनयदेसण्णा जम्हा // 109 // जपंति अस्थि समए. एगगुणो दसगुणो. अणंतगुणो / रूवाईपरिणामो भन्नइ तम्हा गुणविसेसो // 110 // गुणसद्दमंतरेणावि तं तु पज्जवविसेससंखाणं / सिज्झइ नवरं संखा न सत्थधम्मो तइ गुणोत्ति // 111 / / जह दससु दसगुणम्मि एगम्मि दसत्तणं समं चेव।। अहिअम्मि वि गुणसद्दे तहेव एअंपि दट्ठव्वं // 112 // एगंतपक्खवाओ जो पुण दव्वगुणजाइभेयणम्मि / अह पुव्वं पडिकुट्ठो उ आहरणमेत्तमेयं ति // 113 // पिअपुत्तमित्तभज्जयभाऊणं एगपुरिससंबंधो। - न य सो एगस्स पिउ त्ति सेसयाणं पिआ होइ // 114 // जह संबंधविसिट्ठो सो पुरिसो पुरिसभावनिरइसओ / तह दव्वमिदिअगयं रूवाइविसेसणं लहइ // 115 / / होज्जाहि दुगुणमहुरं अणंतगुणकालयं च जं दव्वं / . न हु डहरओ महल्लो व होइ संबंधओ पुरिसो // 116 // भन्नइ संबंधवसा जइ संबंधित्तणं अनुमयं ते। . णणु संबंधविसेसं संबंधिविसेसणं सिद्धं . // 117 / / 10