________________ एवं जीवद्दविअं अणाइनिहणमविसेसिअं जम्हा / रायसरिसो उ केवलि पज्जाओ तस्स सविसेसो // 95 // जीवो अणाइनिहणो जीव त्ति अनिअमओ न वत्तव्यो / जं पुरिसाउअ जीवो देवाउअ जीविअविसिट्ठो // 96 // संखिज्जमसंखिज्जं अणंतकप्पं च केवलं नाणं / तह रागदोसमोहा अन्ने वि अ जीवपज्जाया // 97 // ॥दव्वकंडं॥ सामण्णम्मि विसेसो विसेसपक्खे अ वयणविण्णासो / दव्वपरिणाममण्णं दाएइ तयं व निअमेइ // 98 // एगंतनिव्विसेसं एगंतविसेसियं च वयमाणो / दव्वस्स पज्जवे पज्जवा हि दविअं निअत्तेइ // 99 // पच्चुप्पन्नं भावं विगयभविस्सेहिं जं समाणेइ। एअं पडुच्च वयणं दव्वंतरनिस्सिअं जं च // 100 // दव्वं जहा परिणयं तहेव अस्थि त्ति तम्मि समयम्मि / विगयभविस्सेहि उ पज्जवेहिं भयणा विभयणा वा // 101 // परपज्जवेहिं असस्सिगमेहिं निअमेण निच्चमवि नत्थि। .. सरिसेहि वि वंजणओ अत्थी- ण पुण अत्थ पज्जाए // 102 / / पच्चुप्पन्नम्मि वि पज्जयम्मि भयणागई पडइ दव्वं / जं एगगुणाईया अणंतकप्पा गुणविसेसा / // 103 // कोवं उप्पायंतो पुरिसो जीवस्स कारओ होइ / तत्तो विभएअव्वो परम्मि सयमेव भइअव्वो // 104 // रूवरसगंधफासा असमाणग्गहणलक्खणा जम्हा / तम्हा दव्वाणुगया गुण त्ति ते केइ इच्छंति // 105 //