________________ // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // लुञ्चिताः पिच्छकाहस्ताः पाणिपात्रा दिगम्बराः / ऊर्ध्वाशिनो गृहे दातुर्द्वितीयाः स्युनिर्षयः भुङ्क्ते न केवली न स्त्री मोक्षगेति दिगम्बराः / प्राहुरेषामयं भेदो महान् श्वेताम्बरैः समम् मीमांसकौ द्विधा कर्म-ब्रह्ममीमांसकस्ततः / वेदान्ती मन्यते ब्रह्म कर्म भट्ट-प्रभाकरौ प्रत्यक्षमनुमानं च वेदाश्चोपमया सह / अर्थापत्तिरभावश्च भट्टानां षट्प्रमाण्यसौ . . प्रभाकरमते पञ्च तान्येवाऽभाववर्जनात् / . अद्वैतवादी वेदान्ती प्रमाणं तु यथा तथा सर्वमेतदिदं ब्रह्म वेदान्तेऽद्वैतवादिनाम् / आत्मन्येव लयो मुक्तिर्वेदान्तिकमते मला अकुकर्मा सषट्कर्मा शूद्रान्नादिविवर्जकः / ब्रह्मसूत्री द्विजो भट्टो गृहस्थाश्रमसंस्थितः भगवन्नामधेयास्तु द्विजा वेदान्तदर्शने / . विप्रगेहभुजस्त्यक्तोपवीताव(ता ब्रह्मवादिनः चत्वारो भगवद्भेदाःकुटीचर-बहूदकौ / हंसः परमहंसश्चाऽधिकोऽमीषु परः परः बौद्धानां सुगतो देवो विश्वं च क्षणभङ्गुरम् / आर्यसत्याख्यया तत्त्वचतुष्टयमिदं कमात् दुःखमायतनं चैव ततः समुदयो मतः / मार्गश्चेत्यस्य च व्याख्या क्रमेण श्रूयतामतः दुःखं संसारिणः स्कन्धास्ते च पञ्च प्रकीर्तिताः / विज्ञानं वेदना सञ्ज्ञा संस्कारो रूपमेव च // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // . // 22 // // 23 // 12