________________ सप्तमः परिच्छेदः नीयते येन श्रुताख्यप्रमाणविषयीकृतस्यार्थस्यांशस्तदितरांशौदासीन्यतः स प्रतिपत्तुरभिप्रायविशेषो नयः // 1 // स्वाभिप्रेतादशादितरांशापलापी पुनर्नयाभासः // 2 // स व्याससमासाभ्यां द्विप्रकारः // 3 // व्यासतोऽनेकविकल्पः // 4 // समासतस्तु द्विभेदो द्रव्यार्थिक: पर्यायार्थिकश्च // 5 // आद्यो नैगमसंग्रहव्यवहारभेदात् त्रेधा धर्मयोधर्मिणो धर्मधर्मिणोश्च प्रधानोपसर्जनभावेन यद्विवक्षणं स नैकगमो नैगमः // 7 // सच्चैतन्यमात्मनीति धर्मयोः // 8 // वस्तु पर्यायवद् द्रव्यं इति धर्मिणोः // 9 // क्षणमेकं सुखी विषयासक्तजीव इति तु धर्मधर्मिणोः // 10 // धर्मद्वयादीनामैकान्तिकपार्थक्याभिसन्धि गमाभासः // 11 // यथात्मनि सत्त्वचैतन्ये परस्परमत्यन्तपृथग्भूतें इत्यादि // 12 / / सामान्यमात्रग्राही परामर्शः सङ्ग्रहः // 13 // अयमुभयविकल्पः परोऽपरश्च // 14 // अशेषविशेषेष्वौदासीन्यं भजमानः शुद्धद्रव्यं सन्मात्रमभिमन्यमानः परः सङ्ग्रहः // 15 // विश्वमेकं सदविशेषादिति यथा . . // 16 // सत्ताद्वैतं स्वीकुर्वाणः सकलविशेषान्निराचक्षाणस्तदाभासः // 17 // यथा सत्तैव तत्त्वं ततः पृथग्भूतानां विशेषाणामदर्शनात् // 18 // द्रव्यत्वादीनि अवान्तरसामान्यानि मन्वानस्तद्भेदेषु गजनिमीलिकामवलम्बमानः पुनरपरसङ्ग्रहः / // 19 // 111