________________ यथा सन्निकर्षाद्यस्वसंविदितपरानवभासकज्ञानदर्शनविपर्ययसंशयानध्यवसायाः . // 25 // तेभ्यः स्वपरव्यवसायस्यानुपपत्तेः // 26 // सांव्यवहारिकप्रत्यक्षमिव यदाभासते तत्तदाभासम् // 27 // यथाम्बुधरेषु गन्धर्वनगरज्ञानं दुःखे सुखज्ञानं च // 28 // पारमार्थिकप्रत्यक्षमिव यदाभासते तत्तदाभासम् // 29 // यथा शिवाख्यस्य राजर्षेरसङ्ख्यातद्वीपसमुद्रेषु सप्तद्वीपसमुद्रज्ञानम् 30 अननुभूते वस्तुनि तदिति ज्ञानं स्मरणाभासम् // 31 // अनुनुभूते मुनिमण्डले तन्मुनिमण्डलमिति यथा // 32 // तुल्ये पदार्थे स एवायमित्येकस्मिंश्च तेन तुल्य इत्यादि ज्ञानं प्रत्यभिज्ञाभासम् // 33 // . यमलकजातवत् // 34 // असत्यामपि व्याप्तौ तदवभासस्ताभासः . // 35 // स श्यामो मैत्रतनयत्वात् इत्यत्र यावान् मैत्रतनयः स श्याम इति यथा पक्षाभासादिसमुत्थं ज्ञानमनुमानाभासमवसेयम् // 37 // .. तत्र प्रतीतनिराकृतानभीप्सितसाध्यधर्मविशेषणास्त्रयः पक्षाभासाः // 38 प्रतीतसाध्यधर्मविशेषण्णे यथा आर्हतान्प्रति अवधारणवर्जः परेण प्रयुज्यमानः समस्ति जीव इत्यादि . // 39 // निराकृतसाध्यधर्मविशेषणः प्रत्यक्षानुमानागमालोकस्ववचनादिभिः .साध्यधर्मस्य निराकृतत्वादनेकप्रकार: // 40 // प्रत्यक्षनिराकृतसाध्यधर्मविशेषणो यथा नास्ति भूतविलक्षण आत्मेति / अनुमाननिराकृतसाध्यधर्मविशेषणो यथा नास्ति सर्वज्ञो वीतरागो वा आगमनिराकृतसाध्यधर्मविशेषणो यथा जैनेन रजनिभोजनं भजनीयम् . 107.