________________ पञ्चमः परिच्छेदः तस्य विषयः सामान्यविशेषाद्यनेकान्तात्मकं वस्तु // 1 // अनुगतविशिष्टाकारंप्रतीतिविषयत्वात् प्राचीनोत्तराकारपरित्यागोपादानावस्थानस्वरूपपरिणत्यार्थक्रियासामर्थ्यघटनाच्च // 2 // सामान्यं द्विप्रकारं तिर्यक्सामान्यमूर्ध्वतासामान्यं च // 3 // प्रतिव्यक्ति तुल्या परिणतिस्तिर्यक्सामान्यं शबलशाबलेयादिषु गोत्वं यथा पूर्वापरपरिणामसाधारणं द्रव्यमूर्खतासामान्यंकटककङ्कणाद्यनुगामिकाञ्चनवत् // 5 // विशेषोऽपि द्विरूपो गुणः पर्यायश्च // 6 // गुणः सहभावी धर्मो यथात्मनि विज्ञानव्यक्तिशक्त्यादिः पर्यायस्तु क्रमभावी यथा तत्रैव सुखदुःखादिः . // 8 // // 7 // फलम // 1 // // 3 // // 4 // __षष्ठः परिच्छेदः. यत्प्रमाणेन प्रसाध्यते तदस्य फलम् तद् द्विविधमानन्तर्येण पारम्पर्येण च // 2 // तत्रानन्तर्येण सर्वप्रमाणानामज्ञाननिवृत्तिः फलम् पारम्पर्येण केवलज्ञानस्य तावत्फलमौदासीन्यम् शेषप्रमाणानां पुनरुपादानहानोपेक्षाबुद्धयः // 5 // तत्प्रमाणतः स्याद्भिनमभिन्नं च, प्रमाणफलत्वान्यथानुपपत्तेः // 6 // उपादानबुद्ध्यादिना प्रमाणाद्भिनेन व्यवहितफलेन हेतोर्व्यभिचार इति न . विभावनीयम् . // 7 // तस्यैकप्रमातृतादात्म्येन प्रमाणादभेदव्यवस्थितेः // 8 // .. . . 105