________________ न च दृष्टान्तादिवचनं परप्रतिपत्तये प्रभवति / तस्यां पक्षहेतुवचनयोरेव व्यापारोपलब्धेः // 33 // न हेतोरन्यथानुपपत्तिनिर्णीतये यथोक्ततर्कप्रमाणादेव तदुपपत्तेः॥ 34 // नियतैकविशेषस्वभावे च दृष्टान्ते साकल्येन व्याप्तेरयोगतो विप्रतिपत्तौ तदन्तरापेक्षायामनवस्थिते?निवारः समवतारः // 35 // नाप्यविनाभावस्मृतये प्रतिपन्नप्रतिबन्धस्य व्युत्पन्नमतेः पक्षहेतुप्रदर्शने - नैव तत्प्रसिद्धः // 36 // अन्तर्व्याप्त्या हेतोः साध्यप्रत्यायने शक्तावशक्तौ च बहिर्व्याप्तेरुद्भावनं - व्यर्थम् / // 37 // पक्षीकृत एव विषये साधनस्य साध्येन व्याप्तिरन्तर्व्याप्तिरन्यत्र तुबहिर्व्याप्तिः . // 38 // यथाऽनेकान्तात्मकं वस्तु सत्त्वस्य तथैवोपपतैः // 39 // नोपनयनिगमनयोरपि पर प्रतिपत्तौ सामर्थ्य पक्षहेतुप्रयोगादेव तस्याः सद्भावात् // 40 // समर्थनमेव परं परप्रतिपत्त्यङ्गमास्तां तदन्तरेण दृष्टान्तादिप्रयोगेऽपि तदसंभवात् // 41 // मन्दमतीस्तु व्युत्पादयितुं दृष्टान्तोपनयनिगमनान्यपि प्रयोज्यानि 42 // प्रतिबन्धप्रतिपत्तेरास्पदं दृष्टान्तः // 43 // स द्वेधा साधर्म्यतो वैधयंतश्च // 44 // यत्र साधनधर्मसत्तायामवश्यं साध्यधर्मसत्ता प्रकाश्यते स साधर्म्यदृष्टान्तः // 45 // . यथा यत्र धूमस्तत्र तत्र वह्निर्यथा महानसम् . // 46 // यत्रतुसाध्याभावेसाधनस्यावश्यमभावः प्रदर्श्यतेसवैधर्म्यदृष्टान्तः 47 G6