________________ सो दाणि तम्मि काले धीरपुरिससेवियं परमघोरं / भत्तं परिजाणतो उवेइ अब्भुज्जयविहारं // 120 // इत्तिरियं सव्वगणं विहिणा वियरित्तु अणुदिसाए उ। चइऊण संकिलेसं भावेइ असंकिलेसेण // 121 // कंदप्प-देवकिब्बिस-अभियोगा आसुरी य सम्मोहा / एसा उ संकिलिट्ठा पंचविहा भावणा भणिया // 122 // एयाहिं भावणाहिं भाविता देवदुग्गइं जंति / तत्तो चुया समाणा भमंति भवसायरमणंतं // 123 // एयाओ पंच वज्ज़िय इणमो छट्ठीइ विहरई वीरो / पंचसमिओ तिगुत्तो निस्संगो सव्वसंगेसु // 124 // तवभावणा य सुय-सत्तभावणेगत्तभावणा चेव / धोबलियभावणा वि य असंकिलिट्ठा वि पंचविहा - // 125 // तवभावणाइ पंचिंदियाणि दंताणि तस्स वसमिति / इंदियजोगायरिओ समाहिकरणाणि सो कुणइ // 126 // मुणिनिंदियम्मि इंदियसुहम्मि सत्तो परीसहपरज्झो / अकयपरिकम्मकीवो मुज्झइ आराहणाकाले // 127 // सुयभावणाइ नाणं दंसण तव संजमं च परिणमइ / तो उक्ओगपइण्णं सुहमव्वहिओ समाणेइ // 128 // देवेहि भेसिओ वि हु दिया व राओ व भीमरूवेहिं / तो सत्तभावणाए धम्मधुरं निब्भओ वहइ ' // 129 // एगत्तभावणाए न काम-भोए गणे सरीरे वा / सज्जइ वेरग्गगओ फासेइ अणुत्तरं धम्म // 130 // भगिणीइ वि हम्मिजंतियाइ एगत्तभावणाइ जहा / जिणकप्पिओ न मूढो, खमओ वि न मुज्झइ तहेव // 131 // . 80