________________ // 96 // // 97 // // 98 // // 99 // // 100 // // 101 // पडिबुद्धरिद्धिकुसुमं पत्तपरिग्गहपसाहियच्छायं / भंजंतो भमइ मणो सीलवणं मत्तहत्थि व्व / तं जिणवरवयणपसत्थहत्थ-नाणंकुसेण मुणिवसभा / दप्पियमुप्पहलग्गं मग्गम्मि पुणो पयट्टंति जम्मि वसीकयमित्ते सव्वे संसारकारया दोसा / नासंति, सव्वरिद्धीओ हुंति सज्जो मणूसस्स दासं व मणं अवसं सवसं जो कुणइ तस्स सामण्णं / होइ समाहियमविसोत्तियं च जिणसासणाणुगयं दंसणसोही थिरकरण भावणा अइसयत्थकुसलत्तं / जणवयपरिच्छणा वि य, अणिययवासे गुणा हुँति निक्खमण-नाण-निव्वाणठाण-चिचिंध-जम्मभूमीओ। पिच्छंतस्स जिणाणं सुविसुद्धं दंसणं होइ संवेगमसंविग्गाण जणइ, इय सुविहिओ सुविहियाणं / अथिरमईणं च पुणो जणेइ धम्मम्मि थिरकरणं. संविग्गयरे पासिय पियधम्मयरे य वज्जभीरुतरे / सयमवि पिय-थिरधम्मो साहू विहरंतओ होइ चरिया छुहा य तण्हा सीयं उण्हं च भावियं होइ / अहियासिया य सिज्जा अप्पडिबद्धा विहारेणं सुत्त-ऽत्थथिरीकरणं, अइसयसत्थाण होइ उवलंभो / अइसइंयसुयहराणं च दंसणं विहरमाणस्स निक्खमण-पवेसाइसु आयरियाणं बहुप्पयाराणं / सामायारीकुसलो जायइ गणसंपवेसेण साहूण सुहविहारो निरवज्जो जत्थ सुलभवित्ती य / तं खित्तं विहरंता नाही संलेहणाजोग्गं // 102 // // 103 // // 104 // // 105 // // 106 // // 107 //