________________ // 84 // // 85 // // 86 // // 87 // // 88 // // 89 // आओवायविहिण्णू ठिच्चा तव-नाण-दसण-चरित्ते / / विहरइ विसुद्धलेसो जावज्जीवं पि निकंपो. बारस विहम्मि वि तवे सभिंतर-बाहिरे कुसलदिटे। न वि अस्थि न वि य होही सज्झायसमं तवोकम्मं सज्झायभावणाए य भाविया हुंति सव्वगुत्तीओ। गुत्तीहि भावियाहिं मरणे आराहओ होइ आयहिय समुत्तारो आणा वच्छल्ल भाव(णा) भत्ती / होइ परदेसियत्ते अव्वोच्छित्ती य तित्थस्स . विणओ पुण पंचविहो निद्दिट्ठो नाण दंसण चरिते / तवविणओ य चउत्थो, चरिमो उवयारिओ विणओ काले विणए बहुमाणे उवहाणे तहा अणिण्हवणे / वंजण अत्थ तदुभए विणओ नाणस्से अट्ठविहो निस्संकिय निक्कंखिय निव्वितिगिंछा अमूढदिट्ठी य / उववूह थिरीकरणे वच्छल पंभावणे अट्ठ . इंदिय-कसायपणिही गुत्तीओ तिण्णि पंच समिईओ। एसो चरित्तविणओ समासओ होइ नायव्वो भत्ती तवाहिएसुं तवे य, सेसेसु हीलणच्चाओ। जहविरियमुज्जमो वि य तवविणओ एस नायव्वो काइय वाइय माणस्सिओ य तिवहोवयारिओ विणओ / सो पुण सव्वो दुविहो-पच्चक्खो चेव पारोक्खो विणएण विप्पहीणस्स होइ सिक्खा निरस्थिया तस्स / . विणओ सिक्खामूलं, तीइ फलं सव्वकल्लाणं चित्तं समाहियं जस्स होइ वज्जियविसोत्तियं वसयं / ' सो वहइ निरइयारं सामण्णधुरं अपरितंतो // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 // // 95 //