________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // जिणपडिरूवं विरियायारो रागादिदोसपरिहरणं / इच्चेवमादि बहवे आचेलक्के गुणा हुंति संसज्जणपरिहारो असंकिलेंसो य निव्वियारत्तं / अप्पा य होइ. दमिओ लोए, देहे य निम्ममया असुहस्स य निज्जरणं तवो य साहीणमप्पदोसं च / दुक्खसहत्तं सुक्खे अणायरो चेव लोयगुणा सुनिउणमणहमणग्धं महाणुभावं महत्थमवहत्थं / अविरुद्धमद्धमागहभासमदोसं हयपदोसं पमुहपरिणाममहुरं षमायदढसेलवज्जमणवज्जं / जिणवयणमणुगुणिज्जा अहोणिसं पावकलुसहरं भदं समत्तभद्दस्स तस्स पायडियसुगइमग्गस्स / जिणवयणस्स भगवओ संविग्गसुहाभिगम्मस्स आयहियपरिण्णा भावसंवरो नवनवो य संवेगो। . निकंपया तवो भावणा य परदेसियत्तं च नाणेण सव्वभावा जीवाऽजीवाऽऽसवाइया तहिया / नजंतिह-परलोए अहियं च हियं च तह चेव आयहियमजाणंतो मुज्झइ मूढो समाइयइ कम्मं / कम्मनिमित्तं जीवो भमिही भवसायरमणंतं जाणंतस्साऽऽयहियं अहियनियत्तीय हियपवित्तीय / होइ जओ से जम्हा, आयहियं आगमेयव्वं सज्झायं कुव्वंतो पंचिंदियसंवुडो तिगुत्तो य / होइ य एगग्गमणो विणएण समाहिओ भिक्खू जह जह सुयमवगाहइ अहिणवरसपसरसंजुयमउव्वं / तह तह पल्हाइ मुणी नवनवसंवेगसद्धाए ... . . 85 // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // // 82 // // 83 //