________________ इच्चेवमाइ कवयं भणियं उस्सग्गियं जिणमयम्मि / अववाइयं पि कवयं आगाढे होइ कायव्वं // 888 // हंदी ! परीसहचमू जोहेयव्वा मणेण काएणं / तो मरणदेस-कालो कवयब्भूओ उ आहारो // 889 // जम्हाऽऽहारेण विणा समाहिकामो न साहइ समाहि / तम्हा समाहिहेउं दायव्वो तस्स आहारो // 890 // सरीरमुज्झियं जेण को संगो तस्स भोयणे ? / समाहिसंधणाहेउं दिज्जए सो उ अंतए // 891 // जह कवचेण अभिज्जेण कवचिओ रणमुहम्मि सत्तूणं / जायइ अलंघणिज्जो, कम्मसमत्थो य जिणइ अरी // 892 // एवं खवओ कवचेणुवगहिओ तह परिस्सहरिऊणं / जायइ अलंघणिज्जो झाणसमत्थो य जिणइ जई // 893 // एवं अहियासिंतो सम्म खवओ परीसहे एए / . सव्वत्थ अपडिबद्धो उवेइ सव्वत्थ समभावं // 894 // समयाए भावियप्पा विहरइ सो जाव वीरियं काए / उट्ठाणे सयणे वा निसीयणे वा अपरितंतो // 895 // आसन्नाऽऽगयमरणो पंचनमोक्कारमायरतरेण / गिण्हइ अमोहसत्थं, संमाममुहे वरभडो व्व // 896 // मुत्तुं पि बारसंगं स एव मरणम्मि कीरए जम्हा / अरहंतनमोक्कारो तम्हा सो बारसंगत्थो // 897 // सव्वं पि बारसंगं परिणामविसुद्धिहेउमित्तागं / तकारणभावाओ किह न तयत्थो नमोक्कारो ? // 898 // न हु तम्मि देस-काले सक्का बारसविहो सुयखंधो / सव्वो अणुचिंतेउं धंतं पि समत्थचित्तेणं // 899 // 75