________________ पासेहिं जं सि गाढं बद्धो भिन्नो य सिल्ल-भल्लेहिं / परसूहि फालिओ, तालिओ य जंतय-मुसंढीहिं // 852 // जं तत्तलोहपडिमाऽऽलिंगणवियणं तए समणुभूयं / नरए अणंतखुत्तो तं अणुचिंतेहि निस्सेसं // 853 // तिरियगइमणुप्पत्तो भीममहावेयणाउलमपारं / जम्मण-मरण रहढें अणंतखुतो परिगओ जं // 854 // ताडण तासण बंधण वाहण लंछण विहेडणं दमणं / कन्नच्छेयण नासावेहण निलंछणं चेष . // 855 // छेयण भेयण डहणं निप्पीडण गालणं छुहा तण्हा / / भक्खण मोडण मलणं विकत्तणं सीय उण्हं च // 856 // जं अत्ताणो निप्पडिकम्मो बहुवेयणऽद्दिओ पडिओ। बहुहिं मओ दिवसेहिं तडप्फडतो अणाहो य // 857 // इच्चेवमाइ दुक्खं अणंतखुत्तो तिरिक्खजोणीए / जं पत्तो सि अईए काले चिंतेहि तं सव्वं // 858 // मणुयत्तणे वि बहुविहविणिवायसहस्सभेसणघरम्मि / कम्मवसा जं दुक्खं पत्तं चितेहि तं सव्वं // 859 // पियविप्पओगदुक्खं, अणिट्ठसंजोगजं च जं दुक्खं / जं माणसं च दुक्खं, दुक्खं सारीरगं जं च / // 860 // परभिच्चयाए जं ते असब्भवयणेहि कडुय-फरुसेहिं / निब्भच्छणा-ऽवमाणण-तज्जणदुक्खाणि पत्ताणि // 861 / दीणत्त-रोस-चिंता-सोया-ऽमरिसऽग्गिपउलियमणो जं / पत्तो घोरं दुक्खं माणुसजोणीए संतेण // 862 / दंडण-मुंडण-ताडण-धरिसण-परिसोससंकिलेसो य / / धणहरण-दारधरिसण-घरडाह-जला हि धणनासो // 863 /