________________ तयदोसा चंदजसा दटुं सरयं सुजायकायंसा (?) / निव्वेयसमावन्ना परमं आराहणं कासी // 828 // भई धिईमईणं मइ-सुमईणं जया हि जलहिम्मि। भग्गे वहणे कयअणसणाहिं अभवो कओ अप्पा - // 829 // जइ ताव सावियाहि वि अबलाहिं परीसहे सहिज्जंति / . ता धीर ! तुमवि तेसिं पराजए किं न सुहडो सि? // 830 // तामलि ईसाणिदो, बालतवस्सी वि पूरणो चमरो। अणसणमरणपभावा कमढो कमदासुरो जाओ . // 831 // जइ पासंडी वि इमं करिति नियनियमपालणं धीर! / तो भो ! जिणवयणविसारयस्स किं दुक्करं तुज्झ ? // 832 // निफेडियमुणिसल्लो कयदिणतिगअणसणो सहस्सारे / जाओ किं ते न सुओ वेयरणीवाणरो धीर ! ? // 833 // जिणदाससड्ढगोणा कंबल-सबला वि खीणदेहबला / अणसणविहिणा जाया नांगकुमारा सुया न तए ? // 834 // किं न सुओ ते कोसियसप्पो कीडीहिं खज्जमाणो वि / मासद्धं संलेहिय कायं पत्तो सहस्सारं ? // 835 // पियपुत्ताऽऽमिसवयणा दसणे दट्ठण पुव्वभवसरणा / / पालियपक्खाणसणा सहदेवा वग्घि किं न सुया ? // 836 // सावयसुयमच्छेणं, सामनविराहिएण कीरेणं / मणियारदहुरेणं, तह सेडुगदद्दुरेणावि // 837 // पासजिणजीवकरिणा, मुणिदंसणजाइसरणखग्गेण / . धिज्जाइणिसुणियाए, छगलेणं चारुदत्तस्स // 838 // खुड्डगमहिसेण तहा मीयद्धयपहयभद्दमहिसेंण / . निवविक्कमछागेणं, सुव्वयसंगइय आसेणं . // 839 /