________________ // 816 // // 817 // // 818 // // 819 // // 820 // // 821 // विणयवई सा धन्ना अणसणविहिणा सुलद्धवरवन्ना / विगयभया वि गयभया जीए निज्जामिगा गुरुणी जइ ताव साहुणीहि वि कीरइ धिइदुब्बलाहिं वरमरणं / किं तं पंडिय ! पंडियमरणं मरिहेसि नो इण्डिं ? सुनहरे पडिमठिओ नभसेणेणं सुईहिं भिन्नो वि / धीरो सागरचंदो पडिवन्नो उत्तमं अटुं आराहणापडागा गहिया जह चेडगेण सुरभवणे / निज्जामगरहिएण वि तह धीर ! तुमं तयं गिण्ह कि न सुओ धीर ! तए वरुणो रणभूमिकंठगयपाणो / संसाहियनियकज्जो पसंसणिज्जो सुराणं पि ? आणंद-कामदेवाइसावंया गहियमुक्खपाहेया / / आराहियपज्जंता झोसियगत्ता दिवं पत्ता कि न सुणिओ पएसी सूरियकंताए दिन्नतिव्वविसो / उप्पन्नविउलवियणो कुविओ न मणे मणागं पि? काऊण सिद्धसक्खं आलोयण पावठाणवोसिरणं / जाओ विमाणसामी सोहम्मे सूरियाभम्मि किं न सुओ चाणक्को सङ्को गुटे सुबंधुणा दड्डो / इंगिणिमरणपवनो धीरो चलिओ न झाणाओ? . इय जइ समाहिमरणं कुणंति सुस्सावगा वि दढसत्ता / ता सुविहिय ! सविसेसं अपमाओ तत्थ कायव्वो वरकुंजरखंधगया जिणसदं सुणिय सुक्कझाणरया / विगयघणकम्मलेवा सिद्धिगया जयउ मरुदेवा देवइ य रोहिणी ऊ दीवायणजालियाए नयरीए / कयभत्तपरिच्चागा समाहिमरणा दिवं पत्ता // 822 // // 823 // // 824 / / // 825 // // 826 // // 827 //