________________ जात मणपज्जविणो मुणिणो सुयकेवलि-ओहिनाणिणो णेगे / भीमभवदुक्खभीया भत्तपरिनं पवज्जंति // 792 // गणणाईया समणा समुइन्नपरीसहा वि वरमरणं / अकरिंसु तेसिं केसि मुणीण गुणवत्रणं सुणसु // 793 // पंचसया एगूणा खंदगसीसा दिएण पावेण / अंते पीलिज्जंता पडिवना उत्तिमं अटुं // 794 // भयवं गयसुकुमालो खाइरअंगारपूरियकवालो। सोमिलदिएण वियणं अहियासिंतो सिवं पत्तो // 795 // किं न सुओ जिणधम्मो सड्ढो निद्दड्ढमंस-वस-चम्मो / पट्टीए पत्तीए निव्वेयगओ गहियदिक्खो // 796 // सीहोरसियं रुहिउं चउदिसिचउपक्खसंलिहियदेहो / सोढुवसग्गो जाओ सोहम्मिंदो तुरियचक्की // 797 // नलिणऽज्झयणं सुणिउं गहियवओ पियवणे सियालीए / खज्जंतो आराहणमाराहइऽवंतिसुकुमालो // 798 // मुग्गिल्लमोयरंतो सुकोसलो चाउमासिपारणए / वग्घीए उवसग्गं सम्मं सहिउं सिवं पत्तो / // 799 // किं न सुया ते सुविहिय ! जुहिट्ठिलाई दुमाससंलेहा / सेतुंजे पंडुसुया सिद्धिगया पायवोवगया // 800 // वेभारपव्वए सालिभद्द धन्नो य पायवोवगना / मासं संलिहिय तणू पत्ता ते दो वि सव्वढे // 801 // जो तिपयपत्तसत्तो कीडीहिं चालणि व्व कयगत्तो / वीसपहरेहिं पत्तो सहसारे सो चिलापुत्तो // 802 // अणिमित्तामित्तेहिं मंतीहिं विदिन्नतिव्वविसजोगो / वियणं परदेहे इव सहिउं उद्दायणो सिद्धो // 803 // 67