________________ लसतो। संजमसिहराऽऽरूढो घोरतवपरक्कमो तिगुत्तो वि। पकरिज्ज जो नियाणं सो वि य वड्डेइ संसारं / // 708 // जो सिवसुहमवगणिउं असारसंसारसुहमहिलसंतो / कुणइ नियाणं, चिंतामणिणा सो किणइ कायमणि // 709 // सो भिंदइ लोहत्थं नावं, भंजइ मणिं च सुत्तत्थं / छारकए गोसीसं डहइ नियाणं खु जो कुणइ . // 710 // कुट्ठी संतो इक्खुं लद्धं डहई रसायणं एसो / जो सामन्नं नासेइ भोगहेउं नियाणेण / // 711 // दुक्खखयं कम्मखयं समाहिपंचत्त बोहिलाभं च / . . मोत्तूणमन्नवत्थूण पत्थणं धीर ! मा कुणसु // 712 // इत्थ पुण भावणाओ पणवीसं हुंति संकिलिट्ठाओ। आराहएण सुविहिय ! जा निच्चं वणिज्जाओ // 713 // कंदप्प देवकिब्बिस अभिओगा आसुरी य सम्मोहा / एयाओ संकिलिट्ठा पंचविगप्पाओ पत्तेयं // 714 // कंदप्पे कुक्कुइए दवसीलत्ते य हासणकरे य / परविम्हयजणणे वि य कंदप्पो पंचहा होइ // 715 // सुयनाण केवलीणं धम्मायरियाण संघ साहूणं / माई अवन्नवाई किब्बिसियं भावणं कुणइ // 716 // कोउय भूईकम्मे पसिणेहिं तह य पसिणपसिणेहिं / तह य निमित्तेणं चिय पंचवियप्पा भवे सा य // 717 // सइ विग्गहसीलत्तं संसत्ततवो निमित्तकहणं च। . निक्किवया वि य अवरा, पंचमगं निरणुकंपत्तं // 718 // उम्मग्गदेसणा मग्गदूसणं मग्गविपडिवत्ती य। मोहो य मोहजणणं एवं सा हवइ पंचविहा // 719 // नविदा So