________________ // 696 // // 697 // // 698 // // 699 // // 700 // // 701 // फलिहो य दुग्गईणं अणेगदुक्खावहाण होइ तवो / होइ तवो पच्छयणं भवकंतारम्मि दिग्घम्मि रक्खा भएसु सुतवो, अब्भुदयाणं च आगरो सुतवो / निस्सेणी होइ तवो अक्खयसुक्खस्स मुक्खस्स एवं नाऊण तवं महागुणं संजमम्मि ठिच्चाणं / तवसा भावेयव्वो अप्पा निच्चं पि जत्तेणं माया लोभो रागो, कोहो माणो य वनिओ दोसो / निज्जिणसु इमे दुन्नि वि जइ इच्छसि तं पयं परमं ससुराऽसुरं पि भुवणं निज्जिणिऊणं वसीकयं जेहिं / ते राग-दोसमल्ले जिणंति जे ते जए विरला सत्तू विसं पिसाओ वेयालो हुयवहो वि पज्जलिओ। तं न कुणइ जं कुविया कुणंति रागाइणो देहे जो रागाईण वसे वसम्मि सो सयलदुक्खलक्खाणं / जस्स वसे रागाई तस्स वसे सयलसुक्खाई रायत्तं उग्गत्तं इत्थित्त नरत्त बहुस्यत्तं पि / सरयाऽरय सड्ढत्तं दारिदत्तं न पत्थेमि बहुरयदेवा परियारेंती अन्नं सुरं व देवि वा। अत्ताणं च वेउब्विय सेवंती सुर-सुरीरूवं सरयसुरा सेवंती अत्ताणं चिय विउव्वि सुरमिहुणं / आइछसु बोहिघाओ, तिसु देसे सव्व सिवघाओ अहवा बिंति तिहा तं नियाणयं राग-दोस-मोहकयं / तुच्छकुलपत्थणं जं धम्मत्थं मोहगब्भं तं एएसु गंगदत्तो दिटुंतो होइ, विस्सभूई य / अह चंडपिंगलो वि य चोरो य जहक्कम नेउं // 702 // // 703 // // 704 // // 705 // -माहकय। // 706 // // 707 // . पट .