________________ अलाभ रोग तणफासा मल सक्कारपरीसहा / पन्ना अन्नाण सम्मत्तं इह बावीसं परीसहा . // 672 // एए बावीस परीसहे यतिविहेण निज्जिणाहि लहुं / एएसु निज्जिएसुं होहिसि आराहओ अंते // 673 // सुर-मणुय-तिरिच्छकया तहाऽऽयसंवेयणा चउविहा वि / पत्तेयं चउभेया सोढव्वा धीर ! उवसग्गा // 674 // हास प्पओस वीमंसओ य वेमायया भवे दिव्वो। एवं चिय माणुस्सो कुसीलपडिसेवणचउत्थो // 675 // तिरिओ भय प्पओसाऽऽहार अवच्चाइरक्खणत्थं वा / घट्टण पवडण थंभण लेसणओ वाऽऽयसंवेओ // 676 // हासे उंडेरसुरा पओसे संगमसुरो विमंसाए / पुव्वमुणीसु गएसुं अवरमुणिपरिक्खगा य सुरा - // 677 / / पुढो वि माया भन्नइ हास-विमंसाइणा करिय पढमं / पच्छा कुणइ पओसा, एत्थ वि संगमसुरो नायं // 678 // माणुसउवसग्गेसुं हासे खुड्डुस्स वेसधुय नायं / सोमिलदिओ पओसे चंदयगुत्तो विमंसाए // 679 // ईसालुयभज्जाओ कुसीलपडिसेवणाए दिटुंतो / तिरिसु भए साणाई पओसि. अहिचंडकोसीओ !680 // आहारे सहदेवी वग्घि अवच्चाइरक्खणे नायं / / अचिरपसूयगवाई तहाऽऽयसंवेयणाहरणा // 681 // घट्टणयाए अच्छिसु पडियं रयमाइ, अहव अच्छिगले / मंसंकुराइ घट्टइ पवडणयाए चलंतस्स / / 682 // खलियस्स अंगभंगो थंभणयाए पसुत्तपायाई / लेसणयाए नायं वायगहाई विविहरोगा // 683 //