________________ फासिदिएण वसणं पत्ता सोमालिया नरेसाई / इक्किक्केण वि निहया जीवा, किं पुण समग्गेहिं ? // 648 // नारय-तिरियाइभवे इंदियवसगाण जाइं दुक्खाई। मन्ने मुणिज्ज नाणी, भणिउं पुण सो वि असमत्थो // 649 // तो जिणसु इंदियाई, हणसु कसाए य जइ सुहं महसि / सकसायाण न जम्हा फलसिद्धी इंदियजए वि // 650 // कोहो माणो माया लोभो चउरो वि हुँति चउभेया। अण-अप्पच्चक्खाणा पच्चक्खाणा य संजलणा // 651 // मित्तं पि कुपाइ सत्तुं, पत्थइ अहियं, हियं पि परिहरई। कज्जाऽकज्जं न मुणइ, कोवस्स वसंगओ पुरिसो // 652 // धम्म-ऽत्थ-काम-भोगाण हारणं, कारणं दुहसयाणं / मा कुणसु कयभवोहं कोहं जइ जिणमयं मुणसि // 653 // इहलोए च्चिय कोवो सरीरसंताव-कलह-वेराई / कुणइ पुणो परलोए नरगाइसु दारुणं दुक्खं // 654 // धम्मो सुहाण मूलं, मूलं धम्मस्स उत्तमा खंती / हरइ महाविज्जा इव खंती दुरियाई सयलाई // 655 // कोवम्मि खमाए वि यं चंकारिय खुड्डओ य आहरणं / कोवम्मि दुहं पत्ता खमाए नमिओ सुरेहिं पि // 656 // माणी वेसो सव्वस्स होइ, कलह-भय-वेर-दुक्खाणि / पावइ माणी निययं इह-परलोए य अवमाणं // 657 // सव्वे वि कोहदोसा माणवसायस्स हुंति नायव्वा / / माणेण चेव मेहुण-हिंसा-ऽलिय-चुजमायरइ // 658 // सयणस्स जणस्स पिओ नरो अमाणी सया हवइ लोए / नाणं जसं च अत्थं लभइ सकज्जं च साहेइ // 659 // .. . 55