________________ जइ नाणाइमओ वि हु पडिसिद्धो अट्ठमाणमहणेहिं / तो सेसमयट्ठाणा परिहरियव्वा पयत्तेणं ... // 636 // जाइमएणिक्केण वि पत्तो डुंबत्तणं दियवरो वि। . सव्वमएहिं कहं पुण होहिंति न सव्वगुणहीणा ? // 637 / / जाइमए हरिकेसी, कुले मरीई, बलम्मि विसभूई। रूवे सणंकुमारो, तवगव्वे कूरघडखवगा // 638 // रिद्धी दसन्नभद्दो, सुयाभिमाणम्मि थूलभद्दमुणी / भरुयच्छऽज्जा लाभे, अट्ठमयट्ठाणआहरणा // 639 // सुइ-दिट्ठि-घाण-जीहा-फासिदियपंचगं पि दुज्जेयं / जो जिणइ भावणाए विउला आराहणा तस्स // 640 // अजिइंदिएहिं चरणं कटुं व घुणेहि कीरइ असारं / . तो चरणत्थीहिं दढं जइयव्वं इंदियजयम्मि // 641 // एगंगो वि हु जो लहइ जयसिरिं सुहडकोडिसंघटे। तस्स वि खणेण एवं पि इंदियं दलइ माहप्पं // 642 // इय नायतस्सरूवो इंदियतुरए सएसु विसएसु / अणवरयधावमाणे निगिण्हई नाणरज्जूहिं // 643 // तहसूरो, तहमाणी, तहविक्खाओ जयम्मि, तहकुसलो / अजिइंदियत्तणेणं लंकाहिवई गओ निहणं // 644 // सुरराय-फणाहिव-चक्कवट्टि-हरि-हर-हिरनगब्भा वि / करणेहिं किंकरत्तं कराविया ते वि लीलाए // 645 // सु च्चिय सूरो, सो चेव पंडिओ, तं पसंसिमो निच्चं / इंदियचोरेहिं सया न लुटियं जस्स चरणधणं // 646 // सोएण सुभद्दाई निहया, तह चक्खुणा वणिसुयाई / घाणेण कुमाराई, रसणेण हया सुदासाई // 647 //