________________ चिंतामणिणा किं तस्स ? किं व कप्पडुमाइवत्थूहि ? / चिंताईयफलकरं सीलं जस्सऽस्थि साहीणं .. // 624 // मिच्छत्ताइचउद्दसभेए अभिंतरे चयसु गंथे / खित्ताइ दसविहे वि य धीर ! तुमं तिविहतिविहेणं // 625 // गंथनिमित्तं कुद्धो कलहं बोलं करिज्ज वेरं वा / पहणिज्ज व मारिज्ज व मारिजिज्ज व तह परेणं // 626 // अहवा होज्ज विणासो गंथस्स जल-ऽग्गि-मूसियाईहिं / / नटे गंथे य पुणो तिव्वं पुरिसो लहइ दुक्खं // 627 // जइ वहसि कहवि अत्थं निग्गंथं पवयणं पवनो वि / निग्गंथत्ते तो सासणस्स मयलत्तणं कुणसि // 628 // तम्मइलणा उ सुत्ते भणिया मूलं पुणब्भवलयाणं / तो निग्गंथो अत्थं सव्वाणत्थं विवज्जिज्जा // 629 // जइ चक्कवट्टिरिद्धि लद्धं पि चयंति केइ सप्पुरिसा / को तुज्झ असंतेसु वि धणेसु तुच्छेसु पडिबंधो ? // 630 // बहुवेर-कलहमूलं नाऊण परिग्गहं पुरिससीहा / ससरीरे वि ममत्तं चयंति चंपाउरिपहु व्व // 631 // एएसि तु वयाणं रक्खत्थं राइभोयणनियत्ती। अट्ठ य पवयणमायाओ भावणाओ य सव्वाओ // 632 // अलमित्थ पसंगेणं, रक्खिज्ज महव्वयाइं जत्तेणं / अइदुहसमज्जियाई रयणाई दरिद्दपुरिसो व्व // 633 / / जाई-कुलमय-बलमय-रूव-तविस्सरिय-सुयमयं चेव / लाभमयं पी वज्जसु मयदोसे मुणिय मुणिवसभा ! // 634 // अन्नयरमउम्मत्तो पावइ लहुयत्तणं सुगुरुओ वि / विबुहाण सोयणिज्जो, बालाण वि होइ हसणिज्जो // 635 // 43