________________ अत्थे संतम्मि सुहं जीवइ सकलत्त-पुत्त-संबंधी / अत्थं हरमाणेणं हियं भवे जीवियं तेसिं .. // 612 // परदव्वहरणमेयं आसवदारं वयंति पावस्स / सोयरिय-वाह-परदारिएहिं चोरो हु पावयरो // 613 // सयणं मित्तं आसयमल्लीणं आवईए महईए। . पाडेइ चोरियाए अजसे दुक्खम्मि य महल्ले / // 614 // बंध-वह-जायणाओ छायाघाओ य परिभवं सोयं / पावइ सयमवि चोरो मरणं सव्वस्सहरणं वा // 615 // परलोयम्मि य चोरो करेइ नरयम्मि अप्पणो वसहिं। . तिव्वाओ वेयणाओ अणुभवई तत्थ सुचिरं पि // 616 // परदव्वगहणविरया सुक्खं पार्विति, अविरया दुक्खं / दिटुंतो इह सावयसुएण तह लुद्धनंदेण // 617 // नवगुत्तीहि विसुद्धं धरिज्ज बंभं विसुद्धपरिणामो / सव्ववयाण वि. पवरं सुदुद्धरं विसयलुद्धाणं // 618 // जं किंचि दुहं लोए इह-परलोउब्भवं च अइदुसहं / तं सव्वं चिय जीवो अणुहवई मेहुणाऽऽसत्तो // 619 // अजसमणत्थं दुक्खं इहलोए, दुग्गई य परलोए / संसारं च अपारं न मुणइ विसयाऽऽमिसे गिद्धो // 620 // विसयाउरेहिं बहुसो सीलं मणसा वि मयलियं जेहिं / ते नरयदुहं दुसहं सहति जह मणिरहो राया // 621 // जलही वि गोपयं विय, अग्गी वि जलं, विसं पि अमयसमं / सीलसहायाण सुरा वि किंकरा हुंति भुवणम्मि // 622 // सुर-नररिद्धी नियर्किकरि व्व, गेहंगणि व्व कंप्पतरू / सिद्धिसुहं पि य करयलगयं व वरसीलकलियाण // 623 // પર