________________ // 552 // // 553 // // 554 // // 555 // // 556 // // 557 / / भंडकरंडसमाणं मणिगण-कंचणनिहि व्व सुपहाणं / रयणं व रयणभूयं, उवहि व्व सुरक्खियं सययं जत्तेण तेलकीला व-चेलपेडा व संपरिग्गहियं / कप्पतरु-कामधेणू-चिंतामणि-भद्दघडपडुयं सी-उण्ह-खुप्पिवासा-दंस-मसा चोर-दुट्ठ-वाला य / वाइय-पित्तिय-सिभिय-ससन्निवायाइया रोगा मा मे फुसंतु परिणामजोगओ रक्खियं पयत्तेण / संपइ तमणिस्सरियं चरिमूसासेहिं वोसिरियं इय चउविहमाहारं तह नियदेहं पि चइय खवगमुणी / आरूढो गुणसेणिं खणे खणे खवइ कम्मसे इत्तरसागारे पुण आलोयणमाइओ विही सव्वो। वज्जिय काउस्सग्गं कायव्वो जाव सक्कथओ तह पावठाणचायं सव्वं पि करेइ, तह य सव्वं पि। असणं पाणं खाइम साइमगं चउहमाहारं जाजीवं पच्चक्खइ जइ णं इत्तो वि कहवि मुच्चिज्जा / उवसग्गा तो कप्पइ पारेउं चउहमाहारं अह इत्तो उवसग्गा नो मुंच्चिस्सामि तो तहा चेव। पच्चक्खाए जं पि य इमं सरीराइ तह चेव रोगाइआवईसु य संखेवेणावि कुणइ इत्तरियं / सागारपच्चखाणं जिणवयणविसारओ एवं एस करेमि पणामं जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स / सेसाणं च जिणाणं सगणहराणं च सव्वेसिं सव्वं पाणरंभं पच्चक्खामि त्ति, अलियवयणं च / सव्वमदत्तादाणं, मेहुणय परिग्गहं चेव // 558 // // 559 // // 560 // // 561 // // 562 // // 563 //