________________ केवलनाणीमुहे समइक्कंते जिणे खमावेमि। भरहम्मि भाविपउमाभआइए जिणवरे खामे // 492 // उसभाइ वट्टमाणे चउवीसं जिणवरे खमावेमि / तित्थाऽतित्थाईणं तह पनरसभेयसिद्धाणं - // 493 // पुंडरियाईगणहरदुप्पसहंताण पवरसूरीणं / नियनियसमग्गपरिवारसमणसंघेण जुत्ताणं . // 494 // सिरिबंभीपमुहाणं महत्तराणं च सपरिवाराणं / जा फग्गुसिरिपवत्तिणि पवित्तचारित्तंकलियाणं . // 495 // तह सिज्जंसाईणं नाइलपज्जंतयाण सड्ढाणं / सुंदरिपामोक्खाणं सच्चसिरंताण सड्ढीणं // 496 // मइ-सुय-ओही-मण-केवलाण नाणाण धारगाणं च / चउदस-दसपुवीणं दुव्वालसंगीण जोगीणं // 497 // नवपुव्वीणं इक्कारसंगधारीण पवरसाहूणं / जिणकप्पीणं च तहा पडिमापडिवत्रयाणं च // 498 // तह य अहालंदीणं परिहारविसुद्धियाण साहूणं / आमोसहिमाईहिं बहुलद्धीहिं समिद्धाणं // 499 // चक्कीण बारसण्हं, नवण्ह कण्हाण सबलदेवाणं / पडिकण्हाण नवण्हं, जिणजणणी-जणयपमुहाणं // 500 // संसारम्मि अणंते मए भमंतेण मोहजुत्तेणं / रत्तेण विरत्तेणं कसायजुत्तेण चित्तेणं // 501 // जं अवरद्धं किंची सुयनाणवसेण संपयं नाउं। . तं सव्वं खामेमि, अप्पं विणएण नामेमि // 502 // जिण-सिद्धमाइयाणं पत्तेयं इह करित्तु खामणयं / आसायणदोसाणं पंडिक्कमामि इयाणिं तु / // 503 // 42