________________ आयरियाणं उवझाययाण समहत्तराण पयठवणं / थेर-ऽभिसेय-पवत्तिण गणवच्छीणं च णेगाणं // 324 // नवकप्पेहि विहरो समत्तवत्थूसु अपडिबंधत्तं / उद्देसियाइयाणं चागं तेवनठाणाणं // 325 // तह बारसण्ह करणं सभिंतरबाहिराण य तवाणं। आयारपंचगस्स य तहेन परिपालणा परमा // 326 / / मलधारणमवणीए सयणं, वासो य गुरुकुलम्मि सया / . निस्संगया य निप्पडिकम्मत्तं जयण सयकालं . // 327 // उग्गपरीसहसहणं, पमाणउववेयवेससंधरणं / बायालीसेसणदोसवज्जियं पिंडगहणं च // 328 // केसुद्धरणं दुसहं, इंदियगामस्स जं वसीकरणं / पंचण्ह वि अट्ठण्ह वि परिहारो विय पमायाणं // 329 // उम्मग्गनिवारणयं सम्मग्गट्ठावणं च भव्वाणं / एमाई जं विहियं अणुमोए हं तमप्पहियं // 330 // आयरियाण मुणीण वि एसा सुकडाणुमोयणा भणिया / नवरं पुण नाणत्तं सूरीणं पंचहिं पएहिं // 331 // अह सावगो वि कोई धन्नो आराहणं कुणेमाणो / सुकडाणुमोयणेणं अप्पाणं भावए एवं // 332 // धन्नो हं जेण मए मिच्छत्तं तिविहओ वि परिचत्तं / संपत्तं सम्मत्तं अचिंतचिंतामणिसमाणं / // 333 // लद्धो सिरिजिणधम्मो रम्मो तिजए वि दलियदुक्कम्मो / वारियपावपवेसो सुणिओ सुगुरूण उवएसो // 334 // विनाया निस्सेसा जीवाजीवाइतत्तयविसेसा। विहिया य तित्थजत्ता गुरुजत्ता तह य रहजत्ता' // 335 // 28