________________ // 228 // // 229 // // 230 // // 231 // // 232 // // 233 // संथारगपव्वज्जं पडिवज्जइ तस्स जिणगिहाईसु। . पवज्जविही सव्वो कायव्वो, नेव उट्ठवणा बइ पुण भत्तपरिनं पडिवज्जइ सावगो ससम्मत्तो / नवकारपुव्वयं तो पढमाणुवयं समुच्चरइ पुणरवि सनमुक्कारं बियवारं, तइयवारमवि तत्तो / नवकारविरहियाई वयाई.सेसाई वारतिगं . अह न समत्तधरो जेइ सम्मत्तं तिहतिहा स पडिवज्जे। सनमुक्कारं एवं बियवारं तइयवारं पि' तत्तो पढमाणुवयं पंचनमुक्कारपुव्वमुच्चरइ / एवं तु बीयवारं तह तइयं वारमुच्चरिउं तो सेसाई वयाइं अनमुक्काराई भणइ तिक्खुत्तो / सावयखवगो दु-तिहा थूलमुसावायमाईणि आरोवियवयभारो संवेगपरो पउत्तवरविणओ। चउगइभवभयभीओ चउरो सरणे अह करेइ अरहंत सिद्ध साहू धम्मो जिणभासिओ इमे चउरो। .. चउगइदुहनिद्दलणे सरणं पावेइ सुकयत्थे / अरहंताणं सरणं भवभयहरणं करेइ संविग्गो। सिरकमलरइयकरकमलकोरओ सहरिसं खवगों गब्भट्ठियतिन्नाणा जे सुरवइविहियचवणकल्लाणा / वरसुमिणसूइयजिणा सरणं ते इंतु जगसरणा धुवमड्ढरत्तजम्मा छप्पन्नकुमारिविहियसुइकम्मा / . सुरवइविरइयजम्माभिसेयकम्मा जिणा सरणं लोगंतियपडिबोहियकयवच्छरदाणगहियवरचरणा / .. वयसमगजायमणपज्जवा जिणा हुंतु मे सरणं 20. // 234 // // 235 // // 236 // // 237 // // 238 // // 239 //