________________ // 84 // // 85 // // 86 // // 87 // // 88 // / / 89 // अणुवट्ठियस्स धम्म मा हु कहिज्जाहि सुट्ठ वि पियस्स / विच्छायं होइ मुहं विज्झायग्गिं धमंतस्स गरुयासणे न गरुओ नहु गुरुओ चारुविविहवत्थेहिं / जइ पुण गुणेहि गरुओ ता गरुयं मुणसु अप्पाणं मा लंघसु ववहारं जइ अप्पा भाविओ फुडं धम्मे / जम्हा लोयविरुद्धं धम्मपरा वि हु परिहरंति दुलहं पि वयं घेत्तुं विज्जो नेमित्तिओ य जोइसिओ। जइ होसि गिहत्थेसुंधी धी जम्मो तया तुज्झ जोइसिओ नेमित्ती वेज्जो तह मंतिओ य साउणिओ। जो होज्ज गिहीसु जई हा तेणं हारिओ जम्मो सूईवेहसमाणे अववातपए कया वि कहऽवुत्तो / तुरियकसायवसट्टा मुसलाइ खिवंति नामजई आवडिए मालिन्ने कया वि पुण दंसणस्स अइगुरुए / एवं पि पउंजंतो पभावगो वइरसामि व्व / जं मह परेहि किज्जइ पायपणामो न तेण तूसामि / अप्पाणमप्पण च्चिय पणमेसु जया तया तोसो तइया वद्धावयणं रससिद्धी वि य महंतया जाया। कयकिच्चं मन्नतो अमियरसेणं च सित्तोऽहं किं लज्जेसि परेसि लज्जह नियइंदियाण पंचण्हं / वज्जंतो य अकज्जं सज्जो सज्जोऽसि जइ सुहेसु रयगाओ गुरुकम्मा जे साहू सोहयंति वत्थाई / सरिसवमेरुवमाणं ताणं सड्डेहि विवरीयं सामायारि मुत्तुं कयविक्कयधंधयम्मि जे पडिया। किं न ठिया गिहवासे ते साहू जइ विसीयंता 205 // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 // // 95 //