________________ // 72 // - // 73 // // 74 // // 5 // . // 76 // // 77 // हूअ बलक्खी जीहडी, महु जंपिर सिवमग्गु / किं मह कण्णु किं जणहु, कसु वि ज किं पि न लग्गु भारियकम्मउ जीव ! तुहूं, जइ बुज्झइ ता बुझ / सयलु कुडुंब खाइसइ, मत्थइ पडिसइ तुज्झ नीयचउक्किहिं मइ भणिओ, धम्मि न लग्गिउ भद्द!। घोररउद्दिहिं ठाणि गओ,.करुण म काहिसि सद्द विउसह अंचलु दक्खियइ, एहुव ए विणु मग्गु। फुडु वि पयंपिउ धम्मु मइ, पुणु कणिया वि न लग्गु हा हुलि करि वि मिलेइ जणु, देउलि जोयइ कोडु। जिम्व उरकुड्डइ तहिं न किं, तेम्व कुडुंबिनि कोडु तियलोए वि न नज्जइ दुल्लहलंभं कयाणयं अन्नं / संवेगं मुत्तूणं नऽनो जम्हा सिवोवाओं। किं सोया गुरुकम्मो किं वा भणिरो अहं अणाइज्जो। किं वाऽहमसमग्रन्नू किं परिवाओ न दइवस्स एयं पि हु सोऊणं संवेगामयरसं पियंतो वि। जं न जणो अंसुजलं मेलंतो उज्जमइ धम्मे निययमणेणं तं जिय ! पंडियवग्गं तणं व मन्नेसि। उम्मग्गगामिओ तह जह सिक्खाए पुण न जोग्गो जइ सच्चं चिय भीओ भवाउ हिययट्ठियं पि ता भावं / अंसुजलेणं दंसह कइया वि हु जइ न निच्चं पि आयरणं पि हु दंसह पइदियहं गुणगणेहिं वटुंतं / अन्नह पलवियमेत्तं एयं सयलं पि मन्नेमि धम्मपरस्स वि चिंताउरस्स दिनो वि धम्मउवएसो। सुन्नघरे दीवो इव सुनिष्फलो तस्स नायव्वो . // 78 // // 79 // // 8 // // 81 // // 82 // // 83 // 204