________________ पूगीफलपत्ताइ भुत्तुं निसि पाणियं धरिय मुहं। घरसियभमीरमुणीणं धिरत्थु पाणे धरताणं // 96 // ओगाहिमाइदव्वं निसि धरिउं भुंजिराण बीयदिणे / मुणिवेसविडंबीणं किं ताणं नामगहणेण ? - // 97 // ताउ वहंत जि मुणिवरह, कारि वि आणेहिं भोज्ज / तिहिं मुणिहि वि तत्थ ज़इ, तो गोमंसितुलिज्ज // 98 // एउ जहट्ठिउ मई कहिउ, मुणिजणु दिक्खि कुणंतु / अवरु कहतहं पुण हवइ, फुडु संसार अणंतु . // 99 // जिणमयरहम्मि जुत्ता दो उसग्गाववाय वरतुरया। संविग्गो जाइ तहिं जहिं निज्जइ गीयसारहिणा // 100 // विहिलइयहिं जइ जिय भमिसि, ता तुह कज्जह सिद्धि / बलिएण वि पुण एक्कलइ, करिसि न चिंतिय सिद्धि // 10 // बालत्तरूवजुव्वणधणवंतं पि हु खिवंति भूमीए / गयजीवं नाऊणं पुत्ता वि धिरत्थु संसारो // 10 // अप्पाणमप्पण च्चिय बोहेउं भावगब्भवयणेहिं / जइ तह काहं किरियं तो मने जम्मसहलत्तं // 103 // कटुकडकडंतहिययं जलं व महभवदुहग्गिसंतवियं / किरियारहियस्स व वाहियस्स विरमइ न भावेणं // 104 // सव्वपयारिहिं ओलखहि जिव दिट्ठओ परलोउ। तिव जइ अप्प ओलखहि, ता सिद्धउ परलोउ // 105 / ताहं जडु किं पंडियउ, एह वि मुणहि न घेओ / इंवई लोइ पयासियं, जिव हउ पंडिय देओ // 106 / सत्तितुलंतउ धम्मु करि, मणवावारह मोक्खु। हुं बलियउ हुं दुब्बलउ, एउ म काहिसि दुक्खु - // 107 / 206.