________________ आयरियपरंपरएण आगयं जो उ आणुपुव्वीए / कोवेइ छेयवाई जमालिनासं स नस्सिहिही. // 289 // धम्मत्थीणं चरणुज्जयाण विनायसमयसाराणं / सामायारी नो चलइ पुव्वसूरीण उ कयाई // 290 // जं नत्थि आगमम्मी न य आयरियं तु पुव्वसूरीहिं / समईए सोहणं पि हु देसंताणं इमं भणियं // 291 // विगईकारणम्मी जो उ परूविज्ज अन्नहा धम्मं / सो होज्ज अहाछंदो तव्वयणं नेय सोयव्वं // 292 // इयलोयपारलोइयसुहाण जइ जीव ! तं सि अहिलासी। निउणं निरूविऊणं ता जंपइ तुज्झ उवएसो // 293 // रे जीव किंच जेसिं तए सुयं इय मयं बहुपयारं / तेसि पि गुणे सलहसु जइ मज्झत्थं मणे धरसु // 294 // धन्ना मुणीण किरियं कुणंति धारंति मलिणवत्थे उ। परिवज्जिअ-दव्वज्जण-ववहास वारियारंभा . // 295 // अन्नेसि पि य संससु विमलगुणो जेण जीव तुह होइ। फलियं वुज्जलतरयं पमोयकरणा उ सम्मत्तं // 296 // जीवंतु चिरं एए पवयणी परहिएक्ककयचित्ता / जे हिं पगहि व्व आगमसरस्स गाहत्तणं पत्तं // 297 // एसो सो धम्मकही अणेयमगललियमहुरवयणरसें / जस्स वयणारविंदे भमर व्व पिवंति भव्वजणा // 298 // एसो परवाइगइंदकुंभनिद्दलणकेसरिकिसोरो / सलहिज्झइ सूरी दंसणस्स तिलउ महाभागो // 299 // विष्फुरई जस्स वयणम्मि भारइ नट्टियव्व कव्वम्मि / ललियपयसारसिंगारसुंदराकत्ति सो धन्नो // 300 // કપ