________________ एगंतेणं वि य तं न सुंदरं जेण ताणं पि पडिसेही / सिद्धंतदेसणाए कप्पट्ठिय एव गाहाए // 182 // कुसमयसुईणमहणो विबोहओ भवियपुंडरीयाणं / ... धम्मो जिणपन्नत्तो पकप्पजइणा कहेयव्वो // 183 // संपइ पुणो न दिज्जइ पकप्पगंथस्स ताण सुत्तत्थो / जइया वि य दिज्जतो तइया वि य एस पडिसेहो // 184 // हरिभद्दधम्मजणणीए किंच जाइणिपवत्तिणीए वि / एगो वि गाहत्थो नो सिट्ठो मुणियतत्ताए // 185 // बहु मन्नसु मा चरियं अमुणियतत्ताण ताण ता जीव / जइ संनिवारियाओ ता वारसु महुरवक्केण // 186 // निययंतरायमगणिय एगे जंपंति कुगहगहगहिया। जिणपडिमाण पूया पुप्फाईएहिं कायव्वा // 187 // वच्छाइएहिं नो पुण जेणं तं भक्खणे को वि। पडिही भवंधकूवे अम्हनिमित्त इय मइए // 188 // आगममगुत्तिन्नो इय बोहो जेण सुविहियजणो वि। बहु मन्नइ सड्ढकयं वत्थाईपूयणं बहुहा || 189 // सक्कारवत्तियाए वयणेणं सो उ वत्थमाइहिं / भणिओ तो तकरणं तहा य ववहारउत्तं च // 190 // मलाईएहिं पूया सक्कारो परमवत्थमाईहिं / अन्ने वि बज्झओ इह दुहा वि दव्वत्थओ एसा // 1 // लक्खणजुत्ता पडिमा पासाईआ समत्त-लंकारा / . पल्हायइ जह उ मणं तह निज्जरमो वियाणाहि // 191 // किंच जइ एव भीरू तुम्हे ता मा करेह चेइहरं। . . पडिमाओ पूर्व पि हु होर्हिति जओ इमे दोसा * // 192 // 256