________________ संघेण पुणो बाहि जो विहिओ होज्ज सो उ नो वंदो / पासत्थाई सड्ढाण सव्वहा एस परमत्थो // 170 // किंच सिरिपंचकप्पे दवलिंगस्स धारणे भत्तिओ। एस गुणो सूरिहिं इमाहिं गाहाहिं पयडत्थो // 171 // एवं तु दव्वलिंगं भावे समणत्तणं तु नायव्वं / को उ गुणो दव्वलिंगे भन्नइ इणमो सुणसु वोच्छं // 172 // सक्कारवन्दणनमंसणा य पूयणकहणा य लिंगकप्पम्मि / पत्तेयबुद्धमाई लिंगे छउमत्थओ गहणं // 173 // दह्ण दव्वलिंगं कुव्वंते याणि इंदमाई वि। लिंगम्मि तविज्जते न नज्झइ एस विरओ त्ति // 174 // पत्तेयबुद्धो जाव उ गिहिलिंगी अहव अन्नलिंगी वा। देवा वि ता न पूए मा पुज्ज होहिइ कुलिंगा // 175 // तित्थयरदसणोवरि जइ जीव तुहत्थि निच्चला भत्ती / मुद्धाण सावयाणं ता मा लाएसु कुग्गाहं . // 176 // विग्गहविवायकज्जे अन्ने भिच्च व्व सावयजणस्स / निच्चं चिय ओलग्गं कुणंति नेयं वियाणंति // 177 // विग्गहविवायरुइणो कुलगणसंघेण बाहिरकयस्स / नत्थि किर देवलोगे वि देवसमिईसु ओगासो . // 178 // जइ ता जणसंववहारवज्जियमकज्जमायरइ अन्नो / जो तं पुणो वि संथइ परस्स वसणेण सो दुहिओ // 179 // नो सक्का काउं जे भुवणं सव्वनुणा वि एक्कमयं / ता मा कलहं. रे जीव कुणसु चिंतेसु अप्पाणं // 180 // मुद्धजणछेत्तसुहबोहसस्सविद्दवणदक्खसमणीओ / ईईओ विय काओ वि अडंति धम्मं कहतीओ // 181 // 255