________________ सिद्धिवधूवरसुहसंगलालसो जीव जइ तुमं ता मा / कहसु तुमं जिणधम्मं अकालचारीसु इत्थीसु // 158 // मुद्धजणहिययसंठियदंसणवररयणलूडणसयण्हा / / अन्नायसाहुसावयजोगा अन्ने भणंतेवं // 159 // पासत्थाई सावयजणस्स नो होति वंदणिज्जाउ / तं नो जम्हा कत्थइ नो, दीसइ भणियमेवेति // 160 // वंदावंदविभागो संविग्गेयरजईण सव्वत्थ / जं पुण दंसणसत्तरिवयणं भणियं न तस्सत्थि . // 161 // अंगेसु तह अणंगेसु छेयग्गंथेसु पयरणेसु च। ' संवाओ ता कह तं भवे पमाणं पमाणीणं // 162 // पयरणवयणं जम्हा संवइयं खलु भवे पमाणमिहं / सिद्धंतवयणेहिं नो इहरा अइपसंगाओ // 163 // जइ जइकिच्चं सव्वं पि सावयाणं पि हुज्ज करणीयं / तो इक्को चिय धम्मो हवेज्ज दुविहो विरुज्झिज्जा // 164 // तह संपुनगुणो वि हु न वंदिओ वज्जपाणिणा भरहो / तो नज्जइ सड्ढाणं वेसो च्चिय होइ नमणीओ // 165 // किंच जइ सावयाणं नमणं नो संमयं भवे एयं / पासत्थाईयाणं ता कह उवएसमालाए // 166 // सिरिधम्मदासगणिणा न वारिअं वारियं च अनेसि / 'परतित्थियाणं पणमण' इच्चाइवयणओ पयडं // 167 // आलावो संवासो इच्चाईयं तु मुणिजणस्सेह / एवं नो जइ तो ते वि पुव्वभणिया उ पासत्था // 168 // कं वंदंतु वराया धम्मत्थी सावया तओ तुब्भे। सयभमडियाउ मूढा अन्ने वि मा भमाडेह / // 169 // 254