________________ ता जइ तुहत्थि सत्ती विज्जन्ते सोहणा जइ सहाया / जीव तुम तो विहरसु अह नो तो संस विहरते / // 124 // मोत्तूणं पढणत्थं सिस्से विहरंति मासकप्पेणं / केइ पसिद्धत्थी उज्जय म्हि लोए पयासित्ता // 125 // नेयं पि आगमन्नूणं माणसे जणइ सोहणुक्करिसं / जम्हा समए भणिओ विहारकरणम्मि एस विही // 126 // सुत्तत्थेहिं निप्फाइऊण सिस्से उ एगठाणठिओ। मोत्तुं मासविहारं काऊणं पोरिसिदुगं तु // 127 // गामंगामेण तओ विहरिज्जा सुविहिओ निरासंसो / नियएणुवगरणेणं सव्वेणं गिव्हिएण तहा // 128 // तिविहेण लाघवेणं उवहिसरीरिदियाभिहाणेणं / एवन्नहा उ करणे आणाभंगा व होति . - // 129 // पोरिसीदुयस्स भंगो बीयं ओसनपासपढणं तु / . तइयं मिच्छावाओ तुरियमगीयाण सिस्साणं . // 130 / / सुबहूण वि एगागित्तणं तु तम्मि य हवंति जे दोसा। ते सव्वे चिय सूरिस्स होति अनिवारियप्पसरा // 131 // किंच-तुच्छे गासच्छायणकज्जे जंपंति सावयजणस्स / सुबहुं पि न उण सिस्साण बालिसा पोरिसिद्गं तु // 132 // ससमयम्मि परसमयम्मि सयं पि जइ नो हवन्ति गहियत्था / ता अच्छंतु चिरं पि हु असढा जा हुंति पत्तट्ठा // 133 / / इय करणे वि हु कोइ गुणो भवे जइ न ते उ इय बिति / अन्ने नीयाइगुणा वयं पुणो मासकप्पत्था // 134 // जं संपन्नगुणो वि हु संपुनगुणेसु कुणइ अप्पाणं / तस्स हु संमत्तं पि हु निस्सारं होइ किं बहुणा // 135 // . . 251