________________ सुहमं व बायरं वा सच्चित्ताऽचित्त-मीसयं गहियं / जं किंचि परादत्तं आलोए तं पि तिविहेणं // 192 // दिव्वाइतिविहमेहुणवयं पि मण-वयण-कायओ कहवि / देसेण व सव्वेण व दूसियमालोयए सम्म // 193 // गाम-कुलाइसु ममया जा विहिया खित्त-वत्थुमाइसु वा / अइरेगोवहि-देहाइएसु तं पि हु समालोए // 194 // दियगहियं दियभुत्तं इच्चाईभंगगेहिं कइया वि / निसिभत्तविरमणं जं विराहियं तं समालोए // 195 // उत्तरगुणाण पुण पिंडसोहिमाईण कहवि जं किंचि / खंडिय विराहियं वा आलोएमी तयं सव्वं // 196 // पडिलेहण-आवस्सय-कालग्गहणाइयाण जोगाणं / जंन कयं अविहिकयं ऊणऽहियं वा तमालोए // 197 // बारसविहम्मि वि तवे पमाइयं जं मए समत्थेणं / अविहीए वा विहियं जंपि तवो तं पि आलोए / तपआचारः // 198 // जिणभणियमुक्खसाहणजोगेसुं जं न वीरियं विहियं / . सत्तेण पमाएणं आलोए तं पि सव्वं पि // 199 // नाणाइतिगनिमित्तं अववायपया निसेविया जे य / सुहुमा व बायरा वा सोहि तेसि पि पडिवज्जे // वीर्याचारः // 20 // सडो अणुव्वयाई पण मूलगुणे तहुत्तरगुणे वि। राईभोयण-गुण-सिक्खवयाई सम्ममालोए // 201 // खरकम्माई सव्वाणि तह य थूलाणि कम्मदाणाणि / मिच्छत्तकारणा तह जिणगिहआसायणा दस उ // 202 // इंदिय-कसाय-गारव-सन्ना-भय-सोग-सल्ल-कामेसु / . जं वट्टतेण मए विराहियं तमिह आलोए // 203 // -. . .