________________ निस्संकिय निकंखिय निव्वितिगिच्छा अमूढदिट्ठी य / उववूह थिरीकरणे वच्छल पहावणे अट्ठ // 180 // उववूहाइअकरणा संकाइविहाणओ उ जो रइओ। दंसणआयारम्मी अइयारो तस्स वियडेमि // 181 // तह सम्मत्तधराणं जिण-सिद्धा-ऽऽयरिय-वायगाणं च / समण-समणीण सावय-सड्ढीणं देव-देवीणं . // 182 // सम्मत्तकारणाण य जिणहर-जिणबिंब-रहवराईणं / . जमिह अवन्ना-पडिणीययाइ विहियं तमालोए // 183 // जं जिणगिहाइ आसायंतो जिणदव्व नासयंतो वि। ... सत्तेण न पडिसिद्धो सोहिं गिण्हामि तस्सावि // 184 // समिई-गुत्तिसरूवे मूलगुणुत्तरगुणोहरूवे वा / चरणे जो अइयारो रइओ कमसो तमालोए // 185 // जं पंचसु समिईसुं तिसु गुत्तीसुं पमायदोसेणं / वितहासेवणमिहिं तस्स पवंज्जामि पच्छित्तं // 186 // पाणइवाए एगिदियाण पुढवाइयाण पंचण्हं / ' किमि-जलुग-अलस-पूयरपमुहाण बिइंदियाणं तु // 187 // कुंथू-मंकुण-जूया-पिसुयाईणं तिइंदियाणं च / कोलिय-विच्छू भमराइयाण चारिदियाणं पि // 188 // जलयर-थलयर-खहयर-उर-भुयसप्पाण तिरिपणिंदीणं / सम्मुच्छिम-गब्भाणं मणुयाण वि राग-दोसाओ // 189 // संघट्टण-परितावण-गाढपरीताव-उद्दवेहिं मए / रइया विराहणा जा तं सव्वं सम्ममालोए // 190 // पयलाउल्ले मरुए इच्चाई सुहुम, कूडसक्खाई। बायरमसच्च चवियं जं किंची तं तिहाऽऽलोए . // 191 //