________________ चारित्तं पि ण वट्टइ नाणं नो जस्स परिणयं किंचि / पंचनमोक्कारफलं अवस्स देवत्तणं तस्स // 309 / एयं दुहसयजलयरतरंगरंगंतभासुरावत्ते / संसारसायरम्मी रयणं व कयाइ नो पत्तं // 310 // एयं अब्भुरुहुल्लं एयं अप्पत्तपत्तयं मज्झ / एयं परमरहस्सं चोज्जं कोडं परं सारं // 311 / विज्झइ राहा वि फुडं, उम्मूलिज्जइ गिरी वि मूलाओ। गम्मइ गयणपहेणं दुलहो एसो नमोकारो . // 312 / जलणो वि होज्ज सीओ, पडिवहहुत्तं वहेज्ज सुरसरिया / न य नाम न देज्ज इमो मोक्खफलं जिणनमोक्कारो // 313 // णूणं अलद्धउव्वो संसारमहोयहिं भमंतेणं / जिणसाहुनमोक्कारो तेणज्ज वि जम्म-मरणाई // 314 // जइ पुण पुदि लद्धो ता कीस न होइ मज्झ कम्मखओ? / दावाणलम्मि जलिए तणरासी केच्चिरं ठाइ ? .. // 315 // अहवा भावेण विणा दव्वेणं पाविओ मए आसि / जाव न गहिओ चिंतामणि त्ति ता किं फलं देइ ? // // 316 // ता संपइ पत्तो मे आराहेयव्वओ पयत्तेणं / जइ जम्मण-मरणाणं दुक्खाणं अंतमिच्छामि // 317 // झोसेइ महासत्तो सुक्कज्झाणानलेण कम्मतरुं / पढमं अणंतनामे चत्तारि वि चुण्णिए तेण // 318 // अन्नसमएण पच्छा मिच्छत्तं सो खवेइ सव्वं पि। . मीसं च पुणो सम्मं खवेइ जं पुग्गलं आसि // 319 // एयं नियट्टिठाणं खाइयसम्मत्तलाभदुल्ललियं / लंघेऊणं अट्ठ वि कसायरिखुडामरे हणइ // 320 // 210