________________ // 297 // // 298 // // 299 // // 300 // // 301 // // 302 // पणमामि सुद्धलेसे कसायपरिवज्जिए जियाण हिए / छज्जीवकायरक्खणपरे य पारंपरं पत्ते .. चउसण्णाविप्पजढे दढव्वए वयगुणेहिं संजुत्ते / उत्तमसत्ते पणओ अपमत्ते सव्वकालं पि परिसहबलपडिमल्ले उवसग्गसहे पहम्मि मोक्खस्स / विकहा-पमायरहिए सहिए वंदामि समणे हं सुमणे समणे सुयणे समणे, समणे य पावपंकस्स / सवए समए सुहए सहए समणे अहं वंदे साहूण नमोकारो जइ लब्भइ मरणदेसकालम्मि / चिंतामणि व्व लद्धे किं मग्गसि कायमणियाइं ? साहूण नमोक्कारो कीरंतो अवहरेज्ज जं पावं / पावाण कत्थ हियए णिवसइ एसो अउण्णाणं ? साहूण नमोक्कारो कीरंतो भावमेत्तसंसुद्धो।। सयलसुहाणं मूलं मोक्खस्म य कारणं होइ तम्हा करेमि सव्वायरेण साहूण तं नमोक्कारं / तरिऊण भवसमुदं मोक्खद्दीवं च पावेमि एए जयम्मि सारा पुरिसा पंचेव ताण नवकारो / एयाण उवरि अन्नो को वा अरिहो पणामस्स ? सेयाण परं सेयं, मंगल्लाणं च परममंगल्लं / / पुन्नाण परं पुनं, फलं फलाणं च जाणेज्जा एयं होइ पवित्तं. वरयरयं सासयं तहा अमयं / सारं जीयं पारं पुव्वाणं चोद्दसण्हं पि एयं आराहेउं किं वा अन्नेहिं एत्थ कज्जेहिं ? / पंचनमोक्कारमणो अवस्स देवत्तणं लहइ // 303 // // 304 // // 305 // // 306 // // 307 // // 308 // 209