________________ निसि दियह पदोसे वा सिद्धा मज्झण्ह-गोसकाले वा / कालविवक्खासिद्धा सव्वे वंदामि तिविहेणं // 261 // जोव्वणसिद्धा बाला थेरा तह मज्झिमा य जे सिद्धा। दीवऽन्नदीवसिद्धा सव्वे तिविहेण वंदामि // 262 // दिव्वावहारसिद्धा समुद्दसिद्धा गिरीसु जे सिद्धा। . जे केइ भावसिद्धा सव्वे. तिविहेण वंदामि // 263 // जे जत्थ केइ सिद्धा काले खेत्ते य दव्वभावे वा। ते सव्वे वंदे हं सिद्धे तिविहेण करणेणं // 264 // सिद्धाण नमोक्कारो जइ लब्भइ उवठिए मरणकाले। . ता होइ सुगइमग्गो अन्ने सिद्धि पि पावेंति // 265 // सिद्धाण नमोक्कारो जइ कीरइ भावओ असंगेहिं / रंभइ कुगईमग्गं सग्गं सिद्धिं च पावेइ // 266 // सिद्धाण नमोक्कारं तम्हा सव्वायरेण काहामि / छेत्तूण मोहजालं सिद्धिपुरि जेण पावेमि // 267 // पणमामि गणहराणं जिणवयणं जेहिं सुत्तबंधेणं / बंधेऊण तह कयं पत्तं अम्हारिसा जाव // 268 // चोद्दसपुवीण नमो, आयरियाणं तहूणपुव्वीणं / वायगवसभाण नमो, नमो य एक्कारसंगीणं // 269 // आयारधराण नमो धारिज्जइ जेहिं पवयणं सयलं / नाणधराणं ताणं आयरियाणं पणिवयामि // 270 // नाणायारधराणं दंसण-चरणे विसुद्धभावाणं / तव-विरियधराण नमो आयरियाणं सुधीराणं // 271 // जिणवयणं दिप्पंतं दीवंति पुणो पुणो ससत्तीए / पवयणपभासयाणं आयरियाणं पणिवयामि // 272 // 206