________________ णत्थण-वाहण-अंकण-अवरोप्परभक्खणाई तिरिएसु / एयाई संभरंतो पंडियमरणं मरसु एण्हेिं // 227 // जाइ-जरा-मरणाई रोमायंके य तह य मणुएसु / जइ सुमरसि एयाई पंडियमरणं मरसु एण्हेिं // 228 // इट्ठविओओ गरुओ, अणिट्ठसंपत्ति-चवणदुक्खाई / एयाई संभरंतो पंडियमरणं मरसु एण्हेिं // 229 // रे जीव ! तुमे दिट्ठो अणुभूओ जो सुओ य संसारो / बालमरणेहिं एसो, पंडियमरणं मरसु तम्हा // 230 // एक पंडियमरणं छिंदइ जाईसयाई बहुयाई / तं मरणं मरियव्वं जेण मुओ सुम्मओ होइ // 231 // सो सुम्मओ त्ति भन्नइ जो ण वि मरिही पुणो वि संसारे / निद्भूयसव्वकम्मो सो सिद्धो जइ परं मोक्खो // 232 // नत्थि मरणस्स नासो तित्थयराणं पि अहव इंदाणं / तम्हा अवस्समरणे पंडियमरणं मरसु एक्कं . // 233 // जइ मरणेण न कज्जं, खिन्नो मरणेहिं, भयसि मरणाई / ता मरणदुक्खभीरुय ! पंडियमरणं मरसु एण्हेिं अह इच्छसि मरणा, मरणेहि य नत्थि तुज्झ निव्वेओ। ता अच्छसु वीसत्थो जम्मण-मरणारहट्टम्मि . // 235 // इय बाल-पंडियाणं मरणं नाऊण भावओ एण्हेिं / एसो पंडियमरणं पडिवण्णो भवसउत्तारं // 236 // . एवं भणमाणस्स सयंभुदेवस्स महारिसिणो अउव्वकरणं / खवगसेढीए अणंतरं केवलवरनाण-दसणं समुप्पण्णं, समएणं च आउयकम्मक्खयओ गओ अणुत्तरगई सयंभुदेवमहारिसि त्ति // 237 // 203 234 //