________________ // 179 // // 180 // // 181 // // 182 // // 183 // // 184 // तेसीससागराइं णरए जा वेयणा सहिज्जंती। ता कीस खणं एकं विसहामि ण वेयणं एवं ? देवत्तणम्मि बहुसो रणंतरसणाओ गुरुणियंबाओ / मुक्काओ देवीओ मा रज्जसु असुइणारीसु वजिंदनील-मरगयसमप्पभं सासयं वरं भवणं / मुकं सग्गम्मि तए वोसिर जरकडणिकयमेयं णाणामणि-मोत्तियसंकुलाओ आबद्धइंदचावाओ / स्यणाणं रासीओ मोत्तुं मा रज्ज अत्थेसु ते के वि देवदूसे दिव्वंगे दिव्वभोगफरिसिल्ले / मोत्तूण तुमं तइया संपइ मा रज्ज कंथडए वररयणणिम्मियं पिव कणयमयं कुसुमरेणुसोमालं / चइऊण तत्थ देहं कुण जरदेहम्मि मा मुच्छं मा तेसु कुण नियाणं सग्गे किर एरिसीओ रिद्धीओ। मा चितेसु य सुपुरिस !, होइ स्यं चेव जं जोग्गं देहं असुइसगब्भं भरियं पुण मुत्त-पित्त-रुहिरेण / रे जीव ! इमस्स तुम मा उवरिं कुणसु पडिबंधं पुण्णं पावं च दुवे वच्चंति जिएण नवरि सह एए। जं पुण इमं सरीरं कत्तो तं चलइ ठपणाओ? . मा मह सीयं होहिइ ठइओ विविहेहिं वत्थ-पोत्तेहिं / वच्चंते उण जीए खलस्स कण्णं पि नो चलियं मा मह उण्हं होहिइ इमस्स देहस्स छत्तयं धरियं / तं. जीवगमणसमए खलस्स सव्वं पि पम्हटुं मा मह छुहा भवीहिइ इमस्स देहस्स संबलं वूढं / तं जीवगमणकाले कह व कयग्घेण णो सरियं? 199 // 185 // // 186 // // 187 // // 188 // // 189 // // 190 //