________________ कत्थइ असिधेणूए, कत्थइ मंतेहिं नवर निहओ हं। कत्थइ सीएण मओ, कत्थइ उण्हेण सोसियओं // 156 // अरईए कत्थवि मओ, मुत्तनिरोहेण कत्थइ मओ मि / कत्थइ वच्चनिरोहे, कत्थइ य अजिन्नदोसेणं // 157 // कत्थवि कुंभीपाए, कत्थइ करवत्तफालिओ निहओ। कत्थइ कडाहडड्ढो, कत्थइ कत्तीसमुक्कत्तो // 158 // कत्थइ जलयरगिलिओ, कत्थइ पक्खीविलुत्तसव्वंगो / कत्थइ अवरोप्परयं, कत्थ वि जंतम्मि छूढो हं // 159 / / कत्थइ सत्तूहि हओ, कत्थइ कसघायजज्जरो पडिओ। साहसबलेण कत्थइ मच्चू, विसभक्खणेणं च // 160 // मणुयत्तणम्मि एवं बहुसो एक्कक्कयं मए पत्तं / . तिरियत्तणम्मि एण्डिं साहिज्जंतं णिसामेह // 161 // रे जीव ! तुमं भणिमो कायर ! मा जूर मरणकालम्मि। चिंतेसु इमाई खणं हियएणाणंतमरणाई . // 162 // जइया रे ! पुढविजिओ आसि तुमं खणण-खारमाईहिं / अवरोप्परसत्थेहि य अव्वो ! कह मारणं पत्तो // 163 // किर जिणवरेहिं भणियं दप्पियपुरिसेण आहओ थेरो / जा तस्स होइ वियणा पुढविजियाणं तहक्कंते. // 164 // रे जीय. ! जलजियत्ते बहुसो पीओ सि खोहिओ सुक्को / अवरोप्परसत्थेहिं सी-उण्हेहिं च सोसविओ. // 165 // अमणिजियत्ते बहुसो जल-धूलि-कलिंचवरिसणिवहेणं / रे रे ! दुक्खं पत्तो तं सरमाणो सहसु एण्हेिं // 166 // सी-उण्हखलणदुक्खे अवरोप्परसंगमे य जं दुक्खं / वाउक्कायजियत्ते तं सरमाणो सहसु एण्हेिं // 167 // . 187