________________ // 114 // // 115 // // 116 // // 117 // // 118 // // 119 // अप्पुव्वभकुंभो सिवसुहसंपत्तिकप्पतरुकप्पो / अहिलसियकामधेणू अचिंतचिंतामणी संघो भवजलहिजाणवतं संघो, अपवग्गसिहरनिस्सेणी / करुणामयस्स जलही, परिहो दुग्गइदुवारस्स संघो भवकंतारे सत्थाहो, गुणमणीण पवरनिही / जं अवरद्धो मोहा गुरुकम्मेणं पमाया वा अब्भहियजायहरिसो सिरि विरइय अंजलि कयपणामो / तं सव्वं अवराहं सम्मं संघं खमावेमि आयरिय उवज्झाए सीसे साहम्मिए कुल गणे य / जे मे कया कसाया, सव्वे तिविहेण खामेमि सव्वस्स समणसंघस्स भगवओ अंजलिं करिय सीसे / अवराहं खामेमि य तस्स पसायाभिमुहचित्तो सगपुढवीसुं चउदस भेया, अडचत्त तिरियजाईसु / तिगहिय तिसय मणूए, अडनउय सयं च देवेसु पणसय तिसट्ठिभेए अभिहयदसगेण पीडिए जीवे / पण सहस छ सय तीसे मिच्छा मे दुक्कडं तेसिं तत्थ वि नेरइयाणं रयणाई पुढविभेयभिन्नाणं / परमाहमिय-परुप्पर-खित्तजवियणादुहत्ताणं कुंभीपागं करवत्तदारणं तिक्खसूलियारुहणं / वेयरणिनईतारण तत्तअयोपुत्तलीसंगं / तह कूडसामलीसिहररोहणं कलकलंततउपाणं / असिपत्तवणपवेसण-नासा-कर-पायछेयणयं बहुहाकलंबवालुयपुलिणे गुरुभारभरियरहवहणं / भज्जियगं पिव भज्जण, रसियं पिव गालणाईयं // 120 // // 121 // // 122 // // 123 // // 124 // // 125 //