________________ // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // छव्विहजयणाऽऽगारं छब्भावणभावियं च छट्ठाणं / इय सत्तसट्ठिदंसणभेयविसुद्धं च सम्मत्तं . पाणिवह मुसावायं अदत्त मेहुण परिग्गहं थूलं / जावज्जीवं दुतिहा गिण्हामि अणुव्वए पंच पढमं दिसिव्वयं चिय बीयं भोगोवभोगसंजणियं / तइयं अणत्थदंडं तह गिण्हइ गुणवए तिन्नि जइ पुण करेइ साहू तो पंच महव्वए समुच्चरइ / तह राईभोयणमवि तिविहं तिविहेण जाजीवं पाणिवहं तह अलियं अदत्तगहणं च मेहुणं मुच्छं / कोहं माणं मायं लोभं पिम्मं तहा दोसं कलहं अब्भक्खाणं अरइरई वज्ज तह य पेसुन्न / परपरिवायं मायामोसं मिच्छत्तसल्लं च वज्जियपावट्ठाणो इटुं देहं चएमि ओहिं पि। सागारमावईए जइ जीवे पारएमि तहा विविहगुणसमान्ने जिणिंदवर सिद्ध साहु जिणधम्मे / चउगइदुहभवभीओ चउरो सरणे करे पणओ अट्ठदसदोसरहिया सव्वन्नू तियसनाहकयपूया। चउतीसअइसयजुया अरहंता सरणयं मज्झ निट्ठवियअट्ठकम्मा कयकिच्चा सासयं सुहं पत्ता / तियलोयमत्थयत्था सिद्धा सरणं सया मज्झ पंचमहव्वयधारा जिणआणा-करण-चरणधरणपरा / समिई-गुत्तिविहारा साहू सरणं हवउ मज्झ उवसम-विणयपहाणो दयसारो अस्थि-नत्थिवायपरो / जीवाइतत्तनवगो जिणधम्मो सरणयं मज्झ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // 13.