________________ पवयणपसंसणाए रमिज्ज, विरमिज्ज धम्मनिंदाए / सज्जसु गुरुभत्तीए, सत्तीइ करिज्ज सक्कारं // 972 // सुमणे समणे वंदिज्ज, सुट्ठ निदिज्ज निययदुच्चरियं / गुणसुट्ठिएसु रज्जसु, सज्जसु सुय-सील-सच्चेसु // 973 // वज्जेसु कुसंसग्गिं, संसग्गिं कुणसु सीलमंतेसु / निच्चं च गुणे गिण्हसु परस्स, संते वि मा दोसे . // 974 // दुट्ठकसायपिसाए निहणिज्ज, हणिज्ज इंदियमइंदे / ताडिज्जसु दुच्चरियं मणमक्कडमुक्कडपयारं // 975 // नाणं सुणेसु, नाणं गुणेसु, नाणेण कुणसु कज्जाइं। . .. नाणाहिएसु रज्जसु अणुसज्जसु नाणदाणम्मि // 976 // एवं सऽब्भासाओ, निच्चं उत्तमगुणाणुरागाओ। दोसावहीरणाओ, सुहपरिणामस्स भव्वस्स // 977 // अकुसलखओवसमओ, निययं कुसलाणुबंधओ चेव / आराहणाए सिद्धी विसुद्धगइसाहणी होइ .. // 978 // मरणसमयम्मि जायइ जारिसिया से मई महोयारा / तारिसिएसुप्पत्ती होइ तओ नरवर-सुरेसु // 979 // तेसु वि गुणाणुराओ सुहपरिणामों य होइ जीवस्स / पुव्वब्भासेण जओ दाण-ऽज्झयणाइ परिणमइ . // 980 // जह खलु दिवसऽब्भत्थं रयणीए सुमिणयम्मि पिच्छंति / तह इहजम्मब्भत्थं सेवंति भवंतरे जीवा // 981 // इय विसयवइरिवहवीरभद्दमाराहणं पसाहेसु / उवएसपएहिं इमेहिं धीर ! धीराण सम्मग्गे समगे // 982 / जिणमयमयरहरुप्पण्णमेयमाराहणामयं पाउं / विसउण्हतण्हमवहाय साहुणो निव्वुइमुर्विति // 983 / 160