________________ विसएहिं से कज्जं जं नत्थि छुहाइयाओ बाहाओ / रागाइया य उवंभोगहेउणो तस्स जं नत्थि // 960 // इत्तो च्चिय निच्चं से भासण-चंकमण-चिंतणाईणं / चिट्ठाण नत्थि भावो सिद्धे पडिसिद्धकरणम्मि // 961 // अणुवमममेयमक्खयममलं सिवमजर(? ममर)मभय धुवं / एगतियमच्वंतियमव्वाबाहं सुहं तस्स // 962 / / उक्कोसियमाराहणमाराहित्ता मुणी चउक्खंधं / कम्मरयविप्पमुक्का तेणेव भवेण सिझंति // 963 // आराहइत्तु धीरा मज्झिममाराहणं चउक्खंधं / पाविति पावमुक्का तइयभवे सासयं सुक्खं // 964 // आराहिऊण विहिणा जहण्णमाराहणं जहासत्तिं / सोग्गइपरंपराए सत्तमजम्मेण सिझंति // 965 // आराहणाफलमिणं सोउं संवेगवड्ढिउच्छाहो / . सीसो भणइ भंते ! कहमेसा लब्भइ विसुद्धा ? / / 966 // तीए बहुमाणाइसु पवयणवच्छल्ल-भावणाइसु य / जयसु विसुद्धं लद्धं आराहणमो गुरू भणइ // 967 // चिंतामणि त्ति परमं कुणसु सयाऽऽराहणाइ बहुमाणं / बंधित्थ थिरणुवाओ तिसंझमज्झत्थियं तं च // 968 // आराहणारिहेसुं वच्छल्लं कुणसु निच्चमुवउत्तो / भावेसु दुल्लहत्तं च तीइ धम्मे पमाईणं // 969 // आलोएसु य निच्चं मच्, पच्चूहमीहियत्थाणं / तस्स य निरोहसाहणमाराहणमेव भावेसु // 970 // अरहाइसु वच्छल्लं करिज्ज; भाविज्ज तेसि गुणगरुयं / / पूया-सक्कारेसु य रमिज्ज तेसिं गुणनिहीणं // 971 // 150